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फिल्म अभिनेता आमिर खान को हाई कोर्ट से मिली राहत, जानें क्‍या है मामला

आमिर खान द्वारा 2015 में असहिष्णुता पर दिए गए विवादास्पद बयान को लेकर कार्रवाई की मांग करते हुए याचिका दायर की गई थी। रायपुर हनुमान नगर निवासी दीपक दीवान ने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 11:29 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 11:29 PM (IST)
फिल्म अभिनेता आमिर खान को हाई कोर्ट से मिली राहत, जानें क्‍या है मामला
फिल्म अभिनेता आमिर खान की फाइल फोटो।

बिलासपुर, राज्‍य ब्‍यूरो। किसी के दिए गए बयान से देश की अखंडता व सुरक्षा को खतरा है या नहीं, यह केंद्र व राज्य शासन की जांच का विषय और उनका क्षेत्राधिकार है। किसी निजी व्यक्ति को इसमें हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसे ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने फिल्म अभिनेता आमिर खान के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। 

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असहिष्णुता पर दिए बयान को लेकर दायर की गई थी याचिका

आमिर खान द्वारा 2015 में असहिष्णुता पर दिए गए विवादास्पद बयान को लेकर कार्रवाई की मांग करते हुए याचिका दायर की गई थी। रायपुर हनुमान नगर निवासी दीपक दीवान ने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया था। इसमें अभिनेता आमिर खान द्वारा 2015 में दिए गए बयान को मुद्दा बनाया गया था। इसमें उन्होंने कहा था कि उनके बयान से देश की अखंडता और सुरक्षा को खतरा है। यह धारा 153ए व 153 बी का उल्लंघन है। मजिस्ट्रेट ने उक्त धाराओं के तहत संज्ञान लेने के लिए केंद्र व राज्य शासन से अनुमति लेना आवश्यक माना था। साथ ही बिना अनुमति के सीधे परिवाद पेश करने के कारण मामले को खारिज कर दिया था। अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश ने भी इस मामले की अपील को खारिज कर दिया था। 

कोर्ट ने कहा- निजी व्यक्ति को केंद्र व राज्य के क्षेत्राधिकार में हस्तक्षेप की नहीं है अनुमति 

फिर याचिकाकर्ता ने वकील अमियकांत तिवारी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इसमें कहा गया कि मजिस्ट्रेट ने विधि विरुद्घ आदेश जारी किया है। मामले में आमिर खान की तरफ से भी वकील डीके ग्वालरे ने पक्ष रखा था। उनका कहना था कि मजिस्ट्रेट ने तर्क संगत और विधि अनुरूप ही निर्णय दिया है, क्योंकि जिन धाराओं का उल्लेख किया गया है, वह केंद्र व राज्य शासन की जांच का विषय है और उनका क्षेत्राधिकार है। इसमें किसी निजी व्यक्ति को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। जस्टिस संजय के अग्रवाल ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया है।


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