गोहत्या के आरोपितों पर रासुका की कार्रवाई से सरकार और कांग्रेस में एक राय नहीं
भाजपा के गोसंवर्धन के मुद्दे को हथियाने की कोशिश में लगी कांग्रेस के में गोतस्करी और गोहत्या पर हुई कार्रवाई पर मतैक्य नहीं बन पा रहा है।
भोपाल, नईदुनिया स्टेट ब्यूरो। भाजपा के गोसंवर्धन के मुद्दे को हथियाने की कोशिश में लगी कांग्रेस के में गोतस्करी और गोहत्या पर हुई कार्रवाई पर मतैक्य नहीं बन पा रहा है। पिछले दिनों मप्र के खंडवा और आगर-मालवा में गोहत्या व गोतस्करी के आरोपितों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत की गई कार्रवाई पर अब कांग्रेस में अलग-अलग राय सामने आ रही है। एक दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रासुका की कार्रवाई को गलत बताया था, वहीं अब भोपाल मध्य से विधायक आरिफ मसूद ने गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों पर भी रासुका लगाने की मांग कर दी है। इस पूरे मामले में पुलिस का कहना है कि सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने की आशंका की वजह से यह कार्रवाई की गई थी।
कांग्रेस सरकार बनने के बाद सबसे पहले मप्र के खंडवा जिले में गोहत्या के आरोप में तीन लोगों के खिलाफ रासुका के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इस पर सफाई देते हुए खंडवा एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने कहा था कि खंडवा सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाका है, इसलिए आरोपितों पर रासुका लगाना जरूरी था। इसके बाद गुस्र्वार को आगर-मालवा में गोवंश के अवैध परिवहन के दो आरोपितों पर रासुका की कार्रवाई की गई। दोनों आरोपितों को उज्जैन जेल भेज दिया गया। आदतन गोवंश के अवैध परिवहन को आधार बनाते हुए पुलिस ने इन पर रासुका का मुकदमा दायर किया।
कांग्रेस में विरोध
खास बात यह है कि भाजपा ने इस कार्रवाई का स्वागत किया, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस के अंदर ही विरोध शुरू हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी पुलिस की इस कार्रवाई पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, 'आरोपितों पर गोहत्या के लिए बने कानून के तहत कार्रवाई की जाना चाहिए थी, रासुका नहीं लगनी चाहिए थी। 'दिग्विजय सिंह के बयान के बाद भोपाल मध्य से विधायक आरिफ मसूद ने एक नई मांग उठा दी। उन्होंने कहा कि यदि गोहत्या के आरोप में पुलिस रासुका की कार्रवाई करती है तो गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों के खिलाफ भी इसी कानून के तहत कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों के खिलाफ रासुका लगाया गया है, उनके परिजन के मुताबिक उनमें से एक ने भी गोहत्या नहीं की है। इस मामले में कांग्रेस के अंदर ही विरोध पनपने के बाद मुख्यमंत्री को मामला संभालना पड़ा। गोशाला से जुड़ी बैठक में उन्होंने गोरक्षा के नाम हिंसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही। कमलनाथ ने कहा कि गोरक्षा के नाम पर मॉब लिंचिंग या गुंडागर्दी करने वाले किसी भी व्यक्ति को नहीं छोड़ा जाएगा। इस बयान से मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस के अंदर पुलिस की कार्रवाई से शुरू हुए विरोध को खत्म करने की कोशिश की है।
राजनीतिक रूप से फायदा
उल्लेखनीय है कि गोसंवर्धन के साथ-साथ कांग्रेस भाजपा से उसके कई ऐसे मुद्दे छीनने की कोशिश में है, जिससे उसे राजनीतिक रूप से भी अच्छा खास फायदा होता है। वचन पत्र में भी ऐसे कई बिंदु कांग्रेस ने शामिल किए थे। इसमें एक वादा हर पंचायत में गोशाला खोलने का भी था। इसे पूरा करने की तरफ कदम बढ़ाते हुए सरकार ने इस साल एक हजार गोशालाएं खोलने की तैयारी शुरू कर दी है। इसे लेकर सरकार के स्तर पर बड़ी तैयारी की जा रही है। इस साल सरकार हर ब्लॉक स्तर पर एक गोशाला खोलने की योजना पर काम कर रही है। इस संबंध में पिछले दिनों मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने सभी कलेक्टर्स को गंभीरता से काम पूरा करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए कॉरपोरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत फंड जुटाया जाएगा। गोशाला निर्माण की मॉनीटरिंग के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अपर मुख्य सचिवों की एक समन्वय समिति भी बनाई जा रही है।