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गंगा के गुनहगारों की नकेल कसना शुरू

गंगा के गुनहगारों की नकेल कसना शुरू हो गया है। नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने बुधवार को गंगा को सर्वाधिक प्रदूषित करने वाली औद्योगिक इकाइयों की जांच का आदेश दिया। ऐसी इकाइयों में बूचड़खाने, टेनरी और डाइंग व टेक्सटाइल कारखाने शामिल हैं।

By Edited By: Published: Thu, 07 Aug 2014 09:20 AM (IST)Updated: Thu, 07 Aug 2014 09:21 AM (IST)
गंगा के गुनहगारों की नकेल कसना शुरू

नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। गंगा के गुनहगारों की नकेल कसना शुरू हो गया है। नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) ने बुधवार को गंगा को सर्वाधिक प्रदूषित करने वाली औद्योगिक इकाइयों की जांच का आदेश दिया। ऐसी इकाइयों में बूचड़खाने, टेनरी और डाइंग व टेक्सटाइल कारखाने शामिल हैं। एनजीटी ने यमुना में गंदगी उड़ेल रही औद्योगिक इकाइयों खासकर चीनी मिल और डिस्टलरीज की रिपोर्ट तैयार करने का आदेश भी दिया है।

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जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एनजीटी की प्रधान पीठ ने अधिवक्ता आग्नेय सेल को लोकल कमिश्नर नियुक्त कर कानपुर के जाजमऊ में एक टेनरी की जांच कर यह बताने को कहा है कि यह टेनरी बंद है या चालू। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में इसे बंद दिखाया गया था। जबकि एनजीटी में एक अधिवक्ता ने दलील दी कि यह चालू है। एनजीटी ने कहा कि पहले उन उद्योगों पर कार्रवाई होगी जो गंगा को सर्वाधिक प्रदूषित कर रहे हैं, उसके बाद दूसरी इकाइयों पर कार्रवाई की जाएगी। इसी क्रम में एनजीटी ने सीपीसीबी और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आदेश दिया कि वे गंगा को गंभीर रूप से प्रदूषित करने वाले 17 उद्योगों की संयुक्त जांच करें। इन उद्योगों में छह बूचड़खाने, 3 टेनरी, एक बिजलीघर तथा सात डाइंग व टेक्सटाइल इकाइयां हैं। सीपीसीबी ने इन उद्योगों को गंभीर प्रदूषणकारी उद्योग करार दिया है क्योंकि इनमें प्रदूषण रोकने का कोई उपकरण नहीं लगा है। एनजीटी ने यह भी कहा कि एक संयुक्त समिति गंगा और यमुना के किनारे स्थित विभिन्न श्रेणियों के औद्योगिक इकाइयों के समूहों की स्थिति की रिपोर्ट तैयार करे। साथ ही इस बात की जांच भी की जाय कि जिन उद्योगों को बंद करने का नोटिस दिया गया है वे बंद हुए हैं या नहीं। समिति को गंगा और यमुना के किनारे स्थित सभी चीनी और डिस्टलरी इकाइयों की सूची देने और यह बताने को कहा गया है कि क्या ये इकाइयां नदी को प्रदूषित कर रही हैं।

एनजीटी ने कहा कि इन सभी औद्योगिक इकाइयों से दो जगह अलग-अलग नमूने लेकर उनकी जांच रिपोर्ट उसके समक्ष रखी जाए। इन नमूनों की जांच सीपीसीबी की लैब के अलावा राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशाला में अलग-अलग कराई जाए। रिपोर्ट में यह भी बताया जाए कि इन उद्योगों को पानी कहां से मिल रहा है और क्या उनके यहां मीटर लगा है जिससे पता चल सके कि उद्योग ने कितना पानी इस्तेमाल किया। इन उद्योगों से कितनी गंदगी निकल रही है, उसका भी ब्योरा रिपोर्ट में दिया जाए। मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी।

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