जमीन की जरूरत के हिसाब से बनेगी 'एक खाद'
दिसंबर के आखिरी सप्ताह तकसभी किसानों को यह कार्ड मिल जायेगा। 'एक खाद' के प्रयोग के लिए फिलहाल देश के एक सौ जिलों को चुना गया है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। खेती के लिए मिट्टी की जरूरत के हिसाब से कई तरह की खाद बनाने की जगह अब 'एक खाद' बनेगी, जो हर तरह संतुलित होगी। इसमें हर जिले की मिट्टी की जरूरत का ध्यान रखा जाएगा। स्वायल हेल्थ कार्ड बनाये जाने के बाद सभी क्लाइमेटिक जोन, जिला ही नहीं बल्कि ब्लॉक व ग्राम सभा स्तर तक की मिट्टी की सेहत का पता चल गया है। इसी के मद्देनज सरकार ने 'एक खाद' यानी कस्टोमाइज फर्टिलाइजर बनाने का फैसला किया है।
इसके पहले चरण में देश के एक सौ जिलों को शामिल किया गया है, जहां इस तरह की खाद पहुंचाई जाएगी। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इसका तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस बारे में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि इससे किसानों को काफी सहूलियत मिल जाएगी। दरअसल, मिट्टी में तीन मुख्य, तीन गौड़ और लगभग एक दर्जन से अधिक सूक्ष्म तत्व मिले होते हैं। उत्पादकता बढ़ाने के लिए फर्टिलाइजर के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की सेहत बिगड़ गई है।
देश के 12 करोड़ किसानों में से 10 करोड़ को स्वायल हेल्थ कार्ड दिया जा चुका है। दिसंबर के आखिरी सप्ताह तकसभी किसानों को यह कार्ड मिल जायेगा। 'एक खाद' के प्रयोग के लिए फिलहाल देश के एक सौ जिलों को चुना गया है। कस्टोमाइज फर्टिलाइजर में स्थान विशेष यानी वहां की मिट्टी के साथ सीजन की फसल विशेष की जरूरत का खास ध्यान रखा जाएगा। हर फसल के लिए अलग तरह की खाद चाहिए। खाद में संबंधित क्षेत्र विशेष की मिट्टी के हिसाब से उसमें माइक्रो न्यूट्रीएंट्स व अन्य आवश्यक तत्वों को शामिल किया जाएगा। क्लाइमेटिक जोन, जिला व ब्लाक स्तर की मिट्टी में कम पाये जाने वाले तत्वों का हिसाब-किताब रखा जाएगा।
मिट्टी के तत्व
मिट्टी में पाये जाने वाले खास तत्वों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) होता है। इसके अलावा तीन गौड़ तत्व घुले होते हैं, जिनमें कैल्सियम, मैग्नीशियम व गंधक प्रमुख है। जबकि सूक्ष्म तत्वों में जिंक, कार्बन, तांबा, लोहा, मैगनीज, बोरान, क्लोरिन, कोबाल्ट, क्रोमियम, आयोडीन और मॉलीब्लेडनम प्रमुख हैं। फसलों के लिए पोषक इन तत्वों के बीच संतुलन होना जरूरी होता है। नई खाद में इसका ध्यान रखा जाएगा।
चुनौतियां
विशेष प्रकार की बनाई जाने वाले इस फर्टिलाजर की उत्पादन लागत में वृद्धि होने की संभावना है। फर्टिलाइजर कंपनियां इसके लिए सरकार से मदद की गुहार लगानी शुरु कर दी है। देश में रबी और खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली अलग-अलग फसलों की जरूरत के अनुरुप भी खाद की जरूरत पड़ती है। कृषि मंत्रालय अपने स्तर पर इसका अध्ययन करा रहा है। स्वायल हेल्थ कार्ड के बाद अब दूसरी चुनौती उसके नुस्खे के आधार पर खाद के उपयोग की है, जिसके लिए किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही किसानों को उनकी जरूरत के हिसाब से एक खाद (कस्टोमाइज फर्टिलाइजर) बनाकर मुहैया कराने की तैयारी पूरी कर ली गई है।
कंपनियां तैयार
फर्टिलाइजर उत्पादन करने वाली दो घरेलू फर्टिलाइजर कंपनियों ने इस दिशा में पहले ही पहल कर दी थी, लेकिन कृषि मंत्रालय ने उन्हें देश के सभी किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड मिल जाने तक इंतजार करने को कहा। अब जब दिसंबर महीने तक सभी छोटे बड़े 12 करोड़ किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड मिल जाये, तब इस तरह की जमीन की जरूरत के हिसाब से बनाई जाने वाली 'एक खाद' बनाने का फैसला ले लिया गया है।
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