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ट्रेनों की लेटलतीफी खत्म करने के लिए रेल मंत्रालय का फैसला, नहीं चलेगी कोई नई ट्रेन

रेल मंत्रालय ने फैसला लिया है कि निकट भविष्य में कोई नई ट्रेन नहीं चलाई जाएगी।

By Arti YadavEdited By: Published: Sun, 17 Jun 2018 09:10 AM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2018 10:10 AM (IST)
ट्रेनों की लेटलतीफी खत्म करने के लिए रेल मंत्रालय का फैसला, नहीं चलेगी कोई नई ट्रेन
ट्रेनों की लेटलतीफी खत्म करने के लिए रेल मंत्रालय का फैसला, नहीं चलेगी कोई नई ट्रेन

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। ट्रेनों की लेटलतीफी खत्म करने के लिए रेल मंत्रालय ने फैसला लिया है कि निकट भविष्य में कोई नई ट्रेन नहीं चलाई जाएगी। इसके अलावा डिवीजनों को ज्यादा अधिकार देने और आत्मनिर्भर बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए हर डिवीजन में एक परियोजना प्रकोष्ठ की स्थापना की जाएगी तथा मंडल प्रबंधकों को हर बात के लिए जोनल महाप्रबंधकों के चक्कर लगाने की जरूरत से काफी हद तक आजाद किया जाएगा।

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इस संबंध में पिछले दिनों रेलवे बोर्ड की ओर से सभी जोनल महाप्रबंधकों को पत्र लिखा गया था। जबकि शनिवार को उत्तर रेलवे, उत्तर-मध्य रेलवे, उत्तर-पूर्व रेलवे तथा पूर्व-मध्य रेलवे के महाप्रबंधकों के साथ बैठक में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस पत्र के मजमून को तत्काल अमल में लाने की ताकीद की। ट्रेनों की लेटलतीफी से परेशान गोयल इन दिनों अलग-अलग जोनों के महाप्रबंधकों से बात कर समस्या की जड़ में जाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि दुखी यात्रियों को जल्द से जल्द राहत मिल सके। वैसे शनिवार की बैठक इलाहाबाद में अगले साल होने वाले कुंभ की तैयारियों का जायजा लेने के मकसद से भी बुलाई गई थी।

डिवीजनों को सशक्त करने के पीछे गोयल का मुंबई का अनुभव है, जहां जोन और डिवीजन के बीच लालफीताशाही के कारण एल्फिंस्टन ब्रिज के निर्माण का जिम्मा सेना को देना पड़ा था। ऐसे बहुत से कार्य होते हैं जिनमें व्यापक समन्वय की आवश्यकता होती है। दरअसल, किसी भी शहर में रेलवे के ज्यादातर कार्य ऐसे होते हैं जिन्हें जोन की बजाय डिवीजन के स्तर पर जल्दी और बेहतर ढंग से कराया जा सकता है। जैसे कि स्टेशनों पर फुट ओवरब्रिज का निर्माण, प्लेटफार्म की लंबाई या ऊंचाई बढ़ाना और टाइलें व छतें वगैरह लगवाना। लिफ्ट, एस्केलेटर, सिग्नल एवं टेलीकॉम संबंधी कार्य मसलन- पैनल इंटरलॉकिंग, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग तथा यार्ड की रीमाडॅलिंग और वहां रेलवे विद्युतीकरण संबंधी अनेक कार्य भी इसी श्रेणी में आते हैं। इनमें से ज्यादातर कार्यो का संबंध ट्रेन संचालन, संरक्षा एवं समय पालन से होता है।

यही वजह है कि प्रत्येक डिवीजन में एक परियोजना प्रकोष्ठ अथवा प्रोजेक्ट सेल के गठन के निर्देश दिए गए हैं। एडीआरएम इसके मुखिया होंगे, जबकि सीनियर डीईएन, डीईएन, सीनियर डीएसटीई अथवा डीएसटीई, सीनियर डीईई, डीओएम अथवा सीनियर डीएफएम/डीएफएम अथवा जेएजी ग्रेड के अफसर सदस्य होंगे। प्रकोष्ठ के लिए अफसरों व कर्मचारियों का प्रबंध डिवीजन के अलावा जोन से भी किया जाएगा। प्रोजेक्ट सेल द्वारा चुनी गई 75 करोड़ रुपये तक की परियोजना के लिए धन की मंजूरी डीआरएम स्वयं अपने स्तर पर दे सकेंगे।

प्रोजेक्ट सेल के लोग एक टीम की तरह काम करेंगे और प्लानिंग से लेकर टेंडरिंग, ड्राइंग, डिजाइन, सॉफ्टवेयर तथा कंसल्टेंसी आदि सभी तरह के कार्यो की जिम्मेदारियां स्वयं निभाएंगे और बाहरी फर्मो से काम नहीं कराएंगे। प्रोजेक्ट टीम का सबसे ज्यादा जोर ट्रेनों के सुरक्षित और समय से संचालन पर होगा।

लेट हुई तो यात्रियों को मुफ्त भोजन-पानी

बैठक में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने उत्तर व पूर्वोत्तर की ट्रेनों की लेटलतीफी दूर करने के लिए निम्नलिखित फैसले और लिए :-

- ब्लॉक के कारण ट्रेन के रास्ते में देर तक रुकने की स्थिति में यात्रियों को मुफ्त भोजन-पानी दिया जाएगा

- रेलवे लाइनों, सिग्नल प्रणाली आदि की मरम्मत के लिए पूर्व योजना बनाकर ब्लॉक लिए जाएंगे

- ब्लॉक के दौरान ट्रेन संचालन बंद रखने की जानकारी प्रचार माध्यमों के जरिये जनता को दी जाएगी

- प्रत्येक ब्लॉक पांच घंटे का होगा, जिसमें मरम्मत के सारे कार्य पूरे किए जाएंगे

- ट्रेनों का स्टॉपेज समय कम किया जाएगा

- स्टॉपेज समय में कमी के अनुसार ट्रेनों की समय सारणी में संशोधन होगा

- ट्रेनों के लिए अतिरिक्त रेक का इंतजाम होगा

- सही ट्रेन रनिंग स्टेटस के लिए सभी रेल इंजनों में जीपीएस लगेगा। मौजूदा डेटा लॉगर व्यवस्था कारगर साबित नहीं हुई है

- ट्रेनों में पानी भरने के लिए स्टेशनों में पंपिंग मशीनों की क्षमता बढ़ाई जाएगी

- सभी मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में पीओएस मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी

- इलाहाबाद-मुगलसराय के बीच तीसरी लाइन को मंजूरी

- रेल लाइनें बिछाने के लिए नई ट्रैक लेइंग मशीनें खरीदी जाएंगी

- दिल्ली-हावड़ा मार्ग के ट्रैक पर जानवरों को आने से रोकने के लिए दोनों तरफ बनेगी दीवार

- सितंबर, 2018 तक देश के सभी रेलवे स्टेशनों पर महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त शौचालय बनाने का लक्ष्य


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