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दुनिया के 30 से ज्यादा देश कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट को परस्पर मान्यता देने पर भारत के साथ सहमत

ब्रिटेन फ्रांस जर्मनी नेपाल बेलारूस लेबनान आर्मीनिया यूक्रेन बेल्जियम हंगरी और सर्बिया समेत अन्य देश भारत के साथ परस्पर मान्यता देने पर राजी हुए हैं। दुनिया के 30 से ज्यादा देशों ने भारत के साथ सहमति प्रकट की।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Fri, 15 Oct 2021 07:46 AM (IST)Updated: Fri, 15 Oct 2021 07:46 AM (IST)
दुनिया के 30 से ज्यादा देश कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट को परस्पर मान्यता देने पर भारत के साथ सहमत
30 से ज्यादा देशों ने भारत के साथ सहमति प्रकट की।(फोटो: प्रतीकात्मक)

नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना टीके के प्रमाण पत्र को परस्पर मान्यता देने को लेकर 30 से ज्यादा देशों ने भारत के साथ सहमति प्रकट की है। आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।उन्होंने बताया कि ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, नेपाल, बेलारूस, लेबनान, आर्मीनिया, यूक्रेन, बेल्जियम, हंगरी और सर्बिया समेत अन्य देश भारत के साथ परस्पर मान्यता देने पर राजी हुए हैं। सूत्रों ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, बांग्लादेश, बोत्स्वाना, चीन और ब्रिटेन समेत कुछ यूरोपीय देश उन देशों में शामिल हैं जहां के यात्रियों को भारत आने पर अतिरिक्त नियमों का पालन करना पड़ता है। इसमें आगमन के बाद जांच करवाना भी शामिल है।

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उम्मीद है चीन शेष मुद्दों को हल करने की दिशा में काम करेगा

भारत ने गुरुवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि चीन पूर्वी लद्दाख में शेष मुद्दों को हल करने की दिशा में काम करेगा, ताकि 17 महीने से जारी सीमा विवाद को खत्म किया जा सके। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि 13वें दौर की सैन्य वार्ता के दौरान भारतीय पक्ष की ओर से रचनात्मक सुझाव दिए गए थे, लेकिन चीनी पक्ष उनसे सहमत नहीं हुआ।भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा स्थित चीनी क्षेत्र में चुशुल-मोल्डो बिंदु पर रविवार को सैन्य वार्ता हुई थी। पत्रकारों से बातचीत करते हुए बागची ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि चीनी पक्ष पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बाकी बचे मुद्दों के समाधान के लिए काम करेगा।'

सैन्य वार्ता को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह बात कही। साढ़े आठ घंटे चली बैठक के बाद सेना ने कहा था कि उसकी ओर से प्रस्तुत रचनात्मक सुझावों पर न तो चीनी पक्ष सहमत हुआ और न ही उसने आगे के लिए कोई प्रस्ताव दिया। इस तरह बैठक से शेष क्षेत्रों का समाधान निकालने के लिए कोई नतीजा नहीं निकला। दूसरी तरफ, चीनी सेना ने कहा कि बैठक के दौरान भारत अतार्किक और अवास्तविक मांगों पर जोर देता रहा। इससे बातचीत में मुश्किलें आई। अपनी प्रतिक्रिया में बागची ने कहा कि दोनों पक्ष संवाद कायम रखने और धरातल पर स्थिरता कायम रखने के लिए सहमत हैं, जो एक सकारात्मक कदम है।


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