Move to Jagran APP

COVID-19 की जांच में अभी लग रहे 48 घंटे, अब चलेगा महज 5-7 मिनट में पता, किट की आपूर्ति शुरू

कोरोना वायरस की पहचान पांच से सात मिनट में संभव हो सकेगी। यदि ये सफल हुई तो ये वर्तमान में किसी वरदान से कम नहीं होगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 06:15 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 07:18 AM (IST)
COVID-19 की जांच में अभी लग रहे 48 घंटे, अब चलेगा महज 5-7 मिनट में पता, किट की आपूर्ति शुरू
COVID-19 की जांच में अभी लग रहे 48 घंटे, अब चलेगा महज 5-7 मिनट में पता, किट की आपूर्ति शुरू

नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना पीडि़तों का इलाज करने से ज्यादा जद्दोजहद उनका पता लगाने के लिए हो रही है। दुनिया के कई देश इस समय ऐसा उपाय तलाशने में जुटे हैं जिससे किसी के जल्द से जल्द कोरोना पाजिटिव या निगेटिव होने की बात पता चल सके। ब्रिटेन के ईस्ट यार्कशायर के हल शहर की फर्म बायोसेल एनालिटिक्स का दावा है कि उसने ऐसी जांच किट बना ली है जो पांच मिनट में ही कोरोना मरीज की पुष्टि कर देगी। भारतवंशी प्रोफेसर मनीष सिंह ने अपनी फर्म द्वारा विकसित जांच किट की विशेषताएं बताते हुए कहा कि ब्रिटेन में कोरोना के संदिग्धों को अपनी की जांच रिपोर्ट के लिए अभी कम से कम 48 घंटे इंतजार करना होता है। लेकिन इस किट से पांच मिनट में ही जांच हो जा रही है।

loksabha election banner

यह किट इन प्रचलित किट के मुकाबले काफी सस्ती है। इसकी कीमत मात्र दो पौंड पड़ेगी। बायोसेल एनालिटिक्स के शोधकर्ता मनीष सिंह के अनुसार कोरोना संदिग्ध के स्वैब पर लिये गये नमूने पर जब इन्फ्रारेड किरणें डालकर एक प्रतिक्रिया कराई जाती है तो अधिकतम सात मिनट के अंदर पता चल जाता है संबंधित व्यक्ति कोरोना पाजिटिव है कि नहीं। मनीष ने बताया कि मरीज का नमूना जांच करने वाली मशीन में रखा जाता है। इसके बाद एक लैब डायमंड के जरिये इन्फ्रारेड किरणें छोड़ीं। इनसे निकली तरंग जब नमूने से होकर गुजरती तो उससे एक फिंगरप्रिंट जैसा स्पेकट्रम बनता है। इस फिंगरप्रिंट स्पेक्ट्रम के कंप्यूटर पर विश्लेषण करके यह पता लगाया जा सकता है कि कौन कोरोना पाजिटिव है और कौन निगेटिव।

ब्रिटिश फर्म के दावों के बीच अमेरिका की प्रतिष्ठित फर्म एबट लेबोरेट्रीज ने पांच मिनट में नतीजे देने वाली जांच किट की आपूर्ति शुरू भी कर दी है। हालिया विकसित इस किट को अमेरिकी नियंत्रक संस्था फूड एंड ड्रग एडमिनेस्ट्रशन (एफडीए) ने दो हफ्ते पहले ही मंजूरी दी है। फर्म ने नाक से तरल नमूना लेने वाले स्वैब की पचास हजार किट तैयार की है। फर्म का दावा है कि इनका अस्पताल, क्लीनिक और डाक्टरों के आफिस में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस किट से किसी संदिग्ध के पाजिटिव होने का परिणाम पांच व निगेटिव होने का परिणाम 13 मिनट में मिल जायेगा। मरीज जांच क्लीनिक से बाहर भी नहीं निकल पायेगा तब तक उसे परिणाम मिल जायेगा।

दो तरीके से हो रही है जांच

कोरोना संदिग्धों की अभी दो तरीके से जांच हो रही है। स्वैब टेस्ट और एंटीबाडी टेस्ट। स्वैब टेस्ट, जिसे पालीमिरेस चेन रियेक्शन (पीसीआर) टेस्ट के नाम से भी जाना जाता ज्यादातर अस्पताल में भर्ती मरीजों पर किया जाया है। यह टेस्ट बहुत सटीक होता है लेकिन अभी भी इसमें एक दिन से ज्यादा का वक्त लगता है। वहीं एंटीबाडी टेस्ट में यह देखा जाता है कि संक्रमित व्यक्ति के शरीर में वायरस से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता है कि नहीं। जब कोई किसी वायरस की चपेट में आता है तो यह देखा जाता है कि उसका शरीर वायरस से लड़ने में सक्षम एंटीबाडी बना पा रहा है कि नहीं। इसका टेस्ट करने के लिए वैज्ञानिक मरीज के शरीर से नमूना लेकर वायरस के नमूने से प्रतिक्रिया कराते हैं। अगर कोई प्रतिक्रिया होती है तो यह साबित होता है कि शरीर वायरस का मुकाबला कर लेगा। अगर प्रतिक्रिया नहीं होती तो यह माना जाता है कि शरीर में वायरस से लड़ने के लिए एंटीबाडी नहीं हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.