Exclusive: मोदी के ब्लाग से चर्चा में आए अब्बास ने साझा की पुरानी यादें, होली, दिवाली से लेकर आब-ए-जमजम तक हुई बात
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी मां हीराबा की 100वीं जन्मतिथि पर लिखे भावुक ब्लाग में जबसे अब्बास का जिक्र किया है उनके बारे में अधिक से अधिक जानने को लोग उत्सुक हैं। अब पहली बार अब्बास रामसदा ने सिडनी से दैनिक जागरण से एक्सक्लूसिव बातचीत की।
रुमनी घोष, नई दिल्ली। मैं अब्बास बोल रहा हूं..सिडनी से। बड़ा प्रधान (गुजराती अंदाज में वह पीएम को ऐसे ही संबोधित करते हैं) ने जिसके बारे में अपने ब्लाग में लिखा है न, वही अब्बास। गुजराती-हिंदी मिश्रित भाषा और खुशियों से भरी इस आवाज के माध्यम से अब्बास मियांजी रामसदा ने अपना परिचय दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी मां हीराबा की 100वीं जन्मतिथि पर लिखे भावुक ब्लाग में जबसे अब्बास का जिक्र किया है, उनके बारे में अधिक से अधिक जानने को लोग उत्सुक हैं। अब पहली बार अब्बास रामसदा ने सिडनी से दैनिक जागरण से एक्सक्लूसिव बातचीत में मोदी परिवार के साथ बिताए दिनों की सुनहरी यादों को साझा किया है।
उन्होंने मोदी परिवार के साथ बिताए समय के बारे में एक वीडियो भी रिकार्ड करके दैनिक जागरण को भेजा है। अब्बास रामसदा इन दिनों सिडनी में अपने बेटे के साथ रह रहे हैं। लोग मिलकर भूल जाते हैं, लेकिन..:अब्बास इस बात से ही गदगद हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई ने उन्हें याद किया है। वह कहते हैं कि लोग मिलकर भूल जाते हैं लेकिन देश के प्रधानमंत्री ने मुझे चालीस-पचास वर्ष बाद भी याद रखा है। यह मेरे लिए बहुत गर्व और खुशी की बात है। पीएम के सबसे छोटे भाई पंकज मोदी ने बीते दिनों जागरण से बातचीत में बताया था कि कैसे अब्बास उनके घर आए और एक भाई की तरह रहे।
स्कूल आने जाने में होती थी परेशानी
अब्बास बताते हैं कि मुझे प्रतिदिन कसिंपा से वडनगर स्कूल आने जाने में परेशानी होती थी। तब मेरे पिता के मित्र और पीएम मोदी के पिता दामोदरदास काका ने मेरे बड़े भाई से कहा था कि अब्बास मेरे लिए पंकज जैसा ही है। उसे हमारे घर भेज दो। उसके खाने-पीने और रहने की चिंता छोड़ दो। वह हमारे घर पर ही रहेगा। इसके बाद मैं वडनगर में मोदी परिवार के साथ रहने लगा। वर्ष 1973 और 1974 में मैंने वहीं रहकर मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की।
आब ए जमजम लेकर हीराबा के पास गया
हीराबा को याद करते हुए अब्बास बताते हैं कि वह मेरा बहुत ध्यान रखती थीं। पंकज और मुझमें कभी फर्क नहीं किया। हम नवरात्रि, होली, दीवाली और ईद एक साथ मनाते थे। पढ़ाई पूरी होने के बाद हीराबा से मिलने गया था। फिर आब ए जमजम (मक्का का पवित्र जल) लेकर भी उनके पास गया था। आखिरी बार हीराबा से कब मिले? यह पूछने पर अब्बास बताते हैं मैट्रिक के बाद आगे की पढ़ाई के लिए मैं विसनगर चला गया। उसके बाद मनसा और अहमदाबाद में पढ़ाई की। फिर गुजरात सिविल सर्विस सप्लाइज कार्पोरेशन में सरकारी नौकरी लग गई और मैं अपने परिवार के साथ गांधीनगर में बस गया। उसके बाद वडनगर आना-जाना कम होता था लेकिन सोमा भाई, प्रह्लाद भाई और पंकज भाई (सभी पीएम मोदी के भाई) से संपर्क बना रहा। उनसे ही हीराबा के बारे में हालचाल लेता रहा। नरेन्द्र भाई तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो हम उनको काम करते हुए देखते थे।
मोदी परिवार से पारिवारिक रिश्ता
आमतौर पर देखा जाता है कि जब कोई परिचित व्यक्ति ऊंचे पद पर पहुंच जाता है तो लोग कहने लगते हैं कि यह मेरे साथ घूमते थे, खाते थे..आदि-आदि। आपने कभी ऐसा नहीं कहा। इस पर अब्बास बड़ी ही विनम्रता से कहते हैं- हीराबा और मोदी परिवार से मेरा पारिवारिक रिश्ता है। उस रिश्ते में इन सभी बातों की कोई जरूरत ही नहीं है। बड़ी बात यह है कि इतने वर्षो के बाद भी उन्होंने सब कुछ याद रखा। खुश हूं कि हीराबा की 100वीं जन्मतिथि पर मुझे भी याद किया।
पीएम का ब्लाग पढ़ा तो अब्बास भाई की बातें याद आईं
लगभग 10 वर्ष से आस्ट्रेलिया में बसे अब्बास के मित्र पराग शाह ने कहा कि बीते पांच वर्ष से हम एक दूसरे को जानते हैं। अब्बास रामसदा ने कई बार कहा कि मैं पीएम मोदी के घर पर रहा हूं, लेकिन तब मैं इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेता था। बड़ी हस्तियों के साथ लोग कई बार खुद को जोड़कर बातें कहते रहते हैं, लेकिन जब पीएम ने ब्लाग में जिक्र किया तो मुझे अब्बास भाई की कही सारी बातें याद आ गईं।