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दिल्ली में अब चुनाव का इंतजार

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की आहट लगातार तेज होती जा रही है। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (आप) को सूबे में धर्मनिरपेक्ष वोटों के बंटवारे के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उसे सरकार बनाने के लिए समर्थन देने से इन्कार कर दिया है। आप ने भी कहा है कि वह सरकार बनाना नहीं चाहती। दूसरी ओर भाजपा चुनाव

By Edited By: Published: Mon, 19 May 2014 05:48 AM (IST)Updated: Mon, 19 May 2014 09:30 AM (IST)
दिल्ली में अब चुनाव का इंतजार

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली में विधानसभा चुनाव की आहट लगातार तेज होती जा रही है। कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (आप) को सूबे में धर्मनिरपेक्ष वोटों के बंटवारे के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उसे सरकार बनाने के लिए समर्थन देने से इन्कार कर दिया है। आप ने भी कहा है कि वह सरकार बनाना नहीं चाहती। दूसरी ओर भाजपा चुनाव कराने पर जोर दे रही है। ऐसे में कयास यह लगाए जा रहे हैं कि सूबे की जनता को नए सिरे से अपनी सरकार का चुनाव करना पड़ेगा।

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आप के कुछ विधायकों द्वारा नई परिस्थितियों में अन्य दलों के सहयोग से सरकार बनाने की मांग के मद्देनजर ही रविवार को सियासी गलियारों में यह चर्चा चलती रही कि पार्टी कांग्रेस के समर्थन से दोबारा सरकार बना सकती है। लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने ऐसी किसी भी संभावना को सिरे से खारिज कर दिया। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मुकेश शर्मा ने भी आप से हाथ मिलाने से इन्कार कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली में यदि भाजपा की सरकार बनती है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी आप की होगी। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस चुनाव के लिए तैयार है। उन्होंने केजरीवाल का यह सलाह भी दी कि वह अपने विधायकों को संभाल कर रखें। भाजपा ने दो टूक कहा है कि वह नए सिरे से दिल्ली विधानसभा चुनाव कराने के पक्ष में है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पार्टी चुनाव के लिए तैयार है। यह अलग बात है कि उनकी पार्टी का भी एक खेमा सरकार बनाने की कोशिशों में जुटा है।

आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने भी दिल्ली में दोबारा सरकार बनाने की संभावनाओं को सिरे से खारिज कर दिया। पार्टी के प्रमुख नेताओं की इस मुद्दे पर रविवार को एक बैठक भी हुई। इसमें तय किया गया कि पार्टी दिल्ली में किसी भी दल से सहयोग लेकर सरकार बनाने की पहल नहीं करेगी। सियासी जानकारों की मानें तो लोकसभा के चुनावी नतीजों से पार्टी विधायकों में हड़कंप मचा हुआ है। ज्यादातर विधायकों पर विधानसभा चुनाव होने की स्थिति में हार का खतरा मंडरा रहा है।

कमोबेश यही हालत कांग्रेस विधायकों की भी है। लेकिन दोनों दलों के रणनीतिकारों को लग रहा है कि इस समय सरकार बनाने के लिए हाथ मिलाना आत्मघाती हो सकता है। कांग्रेस को लग रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद कमजोर पड़ी आप को अधिक कमजोर कर अपनी खोई सियासी जमीन हासिल करने का यही मौका है। पार्टी को यह भी दिख रहा है कि सरकार बनाने के मसले पर आम आदमी पार्टी टूट भी सकती है। इसलिए किसी भी कीमत पर अरविंद केजरीवाल को समर्थन नहीं देगी।

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