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आयकर का 'पेन' नहीं पहचानता 'आधार', मुश्किल में हजारों लोग

आयरकर विभाग की कार्यप्रणाली पूरी तरह ऑनलाइन करने की दिशा में 'पेन' को 'आधार' से जोड़ने की कार्रवाई चल रही है। मगर लोगों के लिए कई दिक्‍कतें पैदा हो गई हैं।

By Pratibha Kumari Edited By: Published: Sun, 24 Sep 2017 11:15 AM (IST)Updated: Sun, 24 Sep 2017 11:20 AM (IST)
आयकर का 'पेन' नहीं पहचानता 'आधार', मुश्किल में हजारों लोग
आयकर का 'पेन' नहीं पहचानता 'आधार', मुश्किल में हजारों लोग

भोपाल, नईदुनिया। आयकर विभाग ने जब से 'पेन' को 'आधार' से लिंक करने की अनिवार्यता की है, तब से बड़ी संख्या में विभाग में 'मिस मैच' की शिकायतें बढ़ गई हैं। इस वजह से मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में ऐसे हजारों लोग हैं, जिनके रिफंड भी अटक गए हैं। खासतौर से बड़ी राशि के मामलों में रिफंड की दिक्कत आ रही है। नई व्यवस्था के कारण ऐसे 'पेन' कार्डों का खुलासा भी हो रहा है, जो टैक्स चोरी एवं आय छिपाने के लिए बोगस कंपनियों के नाम पर बनवाए गए हैं। ऐसे बोगस नंबर विभाग द्वारा 'डिएक्टीवेट' किए जा रहे हैं।

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आयकर विभाग इस समय बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। विभाग की कार्यप्रणाली पूरी तरह ऑनलाइन करने की दिशा में 'पेन' को 'आधार' से जोड़ने की कार्रवाई चल रही है। इस प्रक्रिया को दिसंबर तक बढ़ा दिया गया है। इस कार्रवाई में 'आधार' की कई खामियां भी सामने आ रही हैं। दोनों राज्य में ऐसे हजारों मामले हैं, जिनमें नाम की स्पेलिंग, जन्म तिथि के फार्मेट में फर्क एवं पते संबंधी जानकारियों का मिलान नहीं हो पा रहा। इस वजह से रिफंड के मामले भी अटक रहे हैं। 'डॉट' अथवा कम ज्यादा 'स्पेस' भी 'मिसमैच' की समस्या खड़ी कर रहा है। छोटे शहरों और ग्रामीण अंचलों में यह समस्या ज्यादा आ रही है।

'आधार' में सुधार की सलाह

आयकर विभाग के सूत्रों का कहना है कि 'पेन' कार्ड में जो नाम, पता और जन्मतिथि संबंधी जानकारियां हैं उन्हें सही फार्मेट में लिखा गया है। मगर ज्यादातर शिकायतें 'आधार' में मौजूद जानकारियों की हैं। उन्‍हें तकनीकी रूप से व्यवस्थित ढंग से नहीं दर्ज नहीं किया गया। इसके लिए विभाग द्वारा करदाताओं को 'आधार' में सुधार कराने की सलाह दी जा रही है। विभाग में ज्यादा मामले 'मिसमैच' में न अटकें, उसके लिए छोटी--मोटी कमियों को नजरअंदाज भी किया जा रहा है। इसके लिए निर्धारित पैरामीटर को आंशिक रूप से शिथिल भी किया गया है।

'डिएक्टीवेट' हो रहे बोगस


'पेन' विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि एक प्रक्रिया के तहत बड़ी संख्या में 'पेन' कार्डों का 'डिएक्टीवेट' होना जारी है। इनमें कई बोगस कंपनियों के नाम भी हैं, लेकिन विभाग फिलहाल इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रख रहा है। उनका कहना है कि 'पेन और आधार' की व्यवस्था लिंक होने के बाद कार्यप्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।

हाल ही में करीब 374 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें दोहरे पेन कार्ड पाए गए। इनमें करीब 150 भोपाल और 175 इंदौर कमिश्नरेट के मामले हैं। मध्‍य प्रदेश-छत्‍तीसगढ़ के प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त पवन परमार सिंह का कहना है, शुरुआती दिक्कतें (टीथिंग ट्रबल) हैं। जल्दी ही व्यवस्था सुधर जाएगी। विभाग पूरी मुस्तैदी से अपना काम कर रहा है। पेन-आधार लिंक होने के बाद टैक्स की चोरी करना बहुत कठिन हो जाएगा।

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