बस्तर में ऐसा गांव जहां हर दूसरा व्यक्ति किडनी रोग से पीड़ित, हो चुकी हैं इतनी मौतें
गरियाबंद जिले का सुपेबेड़ा गांव बीते एक दशक से चर्चा में है। यहां किडनी की बीमारी से अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है। विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था।
पी. रंजन दास, बीजापुर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में सुपेबेड़ा गांव को किडनी रोगियों के गांव के नाम से जाना जाता है। बस्तर में भी एक सुपेबेड़ा जैसा गांव है। इस गांव में हर दूसरा व्यक्ति किडनी की बीमारी से पीड़ित है। फर्क यह है कि सुपेबेड़ा की चर्चा देश भर में हुई और वह गांव राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है, जबकि बस्तर के सुपेबेड़ा के बारे में कोई नहीं जानता। सरकार और प्रशासन ने यहां के लोगों को उनके हाल पर छोड़ रखा है।
15 लोगों की किडनी फेल होने से मौत
महाराष्ट्र की सीमा पर बसे भोपालपटनम ब्लॉक के ग्राम गोटईगुड़ा का एक मोहल्ला है लोहारपारा। करीब 70 घरों वाला लोहारपारा किडनी रोग की चपेट में है। बीते दस वर्ष में यहां 15 लोगों की मौत किडनी फेल होने से हो चुकी है। लोहारपारा अब सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि यहां के दो लोगों की हाल में मौत हुई है और तीन लोगों का अस्पताल में उपचार चल रहा है।
पानी में फ्लोराइड की अधिकता
भोपालपटनम के जिला पंचायत सदस्य बसंत राव ताटी बताते हैं कि लोहारपारा में किडनी रोग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसकी वजह पानी में फ्लोराइड की अधिकता हो सकती है। इसी इलाके के गेर्रागुड़ा गांव में फ्लोराइड की वजह से लोग अस्थि भंगुर रोग के शिकार हैं। उनकी जवानी बुढ़ापे में बदल रही है। लोहारपारा के पानी की जांच की जाए तो वहां भी फ्लोराइड, आयरन व आर्सेनिक जैसे तत्व जरूर मिलेंगे।
मृतकों की आयु 35 से 60 साल के बीच
ग्रामीणों का दावा है कि कोतरंगी चंद्रिया, रामैया लंबाड़ी, दुगुबाई लंबाड़ी, तोतापल्ली जेचन्ना, लंबाड़ी कांदैया, लंबाड़ी प्रेम, लंबाड़ी गोपाल, तोतापल्ली स्वर्णा, लंबाड़ी सोम्बाई, वासम समैया, पोसाघंटी बद्री, मोरला सामैया, पोसाघंटी राजू, कोटरंगी तारकेश की मौत किडनी फेल होने की वजह से हुई है। मृतकों की आयु 35 से 60 साल के बीच बताई गई है।
यह है सुपेबेड़ा की कहानी
गरियाबंद जिले का सुपेबेड़ा गांव बीते एक दशक से चर्चा में है। यहां किडनी की बीमारी से अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है। विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। सुपेबेड़ा की आबादी करीब दो हजार है, जिनमें 235 लोग किडनी बीमारी से ग्रसित हैं। सुपेबेड़ा में मौतें क्यों हो रही हैं इसका सही कारण अब तक नहीं पता चला है। विशेषज्ञों के मुताबिक मृतकों के ब्लड सैंपल में क्रेटनिन और यूरिक एसिड की अधिकता मिली है।
सुपेबेड़ा में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए तेल नदी से पानी सप्लाई करने की योजना पर काम चल रहा है। दो महीने पहले दिल्ली से किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ. विजय खेर और विवेकानंद झा रायपुर आए थे। उन्होंने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से समस्या पर चर्चा की।
उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश के उदानम ब्लॉक के कुछ गांवों में भी इसी तरह की समस्या है। इसके बाद प्रदेश के डॉक्टरों का एक दल आंध्र प्रदेश भी गया था। इसी बीच गांव के 72वें व्यक्ति की मौत हुई है। अब तक बीमारी का मूल कारण सामने नहीं आया है।