2 साल से कर रहे थे A-Sat पर काम, पिछले 6 महीने से मिशन मोड पर थे : DRDO चेयरमैन जी सतीश रेड्डी
डीआरडीओ चेयरमैन जी सतीश रेड्डी ने बताया कि इस दुर्लभ मिसाइल पर 2 साल पहले से ही काम शुरू कर दिया गया था।
नई दिल्ली, एएनआइ। भारत अंतरिक्ष में एक और उपलब्धि हासिल करते हुए बुधवार को 300 किमी ऊपर LEO में एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराया। भारत ने A-Sat या एंटी सैटेलाइट मिसाइल के जरिए यह उपलब्धि हासिल की। ए-सैट मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद डीआरडीओ चेयरमैन जी सतीश रेड्डी ने न्यूज एजेंसी एएनआइ को बातचीत के दौरान बताया कि 2 साल पहले ही इस दुर्लभ मिसाइल (ए-सेट मिसाइल) की क्षमता को विकसित करने की योजना शुरू की गई थी।
DRDO के चेयरमैन ने कहा कि एनएसए अजीत डोभाल को हम इस टेस्ट के रणनीतिक मामलों पर रिपोर्ट करते हैं। उन्होंने हमें टेस्ट से आगे बढ़ने की सलाह दी। इस पूरे प्रोजेक्ट के दौरान हमें पीएम मोदी की सहमति भी मिली थी। इस तकनीक का विकास कुछ साल पहले शुरू हुआ था और हम पिछले 6 महीनों से बहुत तेजी (मिशन मोड) से इस पर काम कर रहे थे।
DRDO के चेयरमैन जी सतीश रेड्डी ने कहा कि पिछले 6 महीनों में जब A-SAT मिसाइल कार्यक्रम मिशन मोड के स्तर पर पहुंचा तो लगभग 100 वैज्ञानिकों ने इसकी लांचिंग तक दिन-रात काम किया। उन्होंने आगे बताया कि हमने 'काइनेटिक किल' से लक्ष्य को मारा है। इसका मतलब है कि सीधे ही सेटेलाइट को मार गिराना। इसमें कई तकनीकों को समावेश किया गया है, जिन्हें हमने पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित किया है और हमने कुछ सेंटीमीटर से लक्ष्य को पूरी सटीकता के साथ भेदने में सफलता हासिल की। इस दौरान हमारी सटीकता काफी उच्च स्तर की थी।
ज्ञात हो कि पीएम मोदी ने देश के नाम संबोधन कर इस मिसाइल के सफल परीक्षण की जानकारी देशवासियों को दी थी, साथ ही उन्होंने देशवासियों को यह भी बताया था कि इस सफल परीक्षण के बाद हम दुनिया के उन चार देशों में शामिल हो गए हैं जिनके पास यह शक्ति थी। इस सफलत परीक्षण के साथ ही हम अमेरिका, रूस और चीन के साथ चौथी महाशक्ति बन गए।