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Sabarimala Temple Issue : सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की पीठ गुरुवार को तय करेगी सुनवाई के कानूनी प्रश्न

धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश में भेदभाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की पीठ गुरुवार को सुनवाई के कानूनी प्रश्न तय करेगी।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 08:14 AM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 08:14 AM (IST)
Sabarimala Temple Issue : सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की पीठ गुरुवार को तय करेगी सुनवाई के कानूनी प्रश्न
Sabarimala Temple Issue : सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की पीठ गुरुवार को तय करेगी सुनवाई के कानूनी प्रश्न

नई दिल्‍ली, एएनआइ। Sabarimala Temple Issue धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश में भेदभाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की पीठ गुरुवार को सुनवाई के कानूनी प्रश्न तय करेगी। यह मामला नौ जजों की पीठ को भेजा जा सकता है कि नहीं इस पर भी विचार होगा। कुछ वकीलों ने सबरीमाला के साथ सभी धर्मों में महिलाओं से भेदभाव का मामला रिव्यू की सुनवाई में बडी पीठ को भेजने पर आपत्ति उठाई थी। बता दें कि यह मामला केरल में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश, मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश, दाऊदी बोहरा मुसलमानों में महिलाओं का खतना और पारसी महिला के गैर पारसी से शादी करने पर अगियारी में प्रवेश पर रोक के मामले से जुड़ा हुआ है।

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मामले की सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सभी पक्षों में सवालों को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। हालांकि, ऐसा नहीं होना चाहिए था। इस मामले में पीठ को सवाल खुद तय करने चाहिए, जिसपर सुनवाई होगी। ऐसा भी जरूरी नहीं है कि ये सवाल खुली अदालत में तय हों, सवाल को इन चैंबर तय किया जा सकता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में 9 जजों की पीठ ने साफ किया था कि वो सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के साथ-साथ मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश, एक गैर-पारसी से शादी करने वाली पारसी महिलाओं को अगियारी में प्रवेश पर रोक और दाउदी बोहरा समुदाय के बीच महिलाओं के खतना की परंपरा पर भी सुनवाई करेगी।

गौरतलब है कि 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल से 50 साल के उम्र की महिलाओं को सबरीमाला के भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी थी। इसके साथ ही कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा को असंवैधानिक बताया था। हालांकि, कोर्ट के इस फैसले पर कई लोगों को संस्‍थाओं ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद कई याचिकाएं इस फैसले के खिलाफ दाखिल की गई थीं। पिछले साल 14 नवंबर को दूसरी पांच जजों की बेंच ने मामला सात जजों की बेंच तो सौंप दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर को कहा था कि सबरीमाला मंदिर मसले पर साल 2018 का आदेश अंतिम नहीं था। बाद में चीफ जस्टिस ने सभी संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई के लिए नौ जजों की बेंच का गठन कर दिया था।


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