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साईबाबा जन्मस्थान विवाद में आया नया मोड़, हाई कोर्ट जाएंगे पाथरीवासी

पाथरी संस्थान के सदस्यों ने बताया कि वे बांबे हाई कोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ के समक्ष साक्ष्यों के साथ याचिका दाखिल करेंगे और प्रमाणित करेंगे कि साईबाबा का जन्म पाथरी में ही हुआ था।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 09:25 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 09:26 PM (IST)
साईबाबा जन्मस्थान विवाद में आया नया मोड़, हाई कोर्ट जाएंगे पाथरीवासी
साईबाबा जन्मस्थान विवाद में आया नया मोड़, हाई कोर्ट जाएंगे पाथरीवासी

औरंगाबाद, प्रेट्र। साईबाबा के जन्मस्थान को लेकर जारी विवाद में नया मोड़ आ गया है। महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गांव के लोगों ने इस विवाद का समाधान तलाशने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है।

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साई जन्मभूमि पाथरी संस्थान के सदस्यों ने बताया कि वे बांबे हाई कोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ के समक्ष साक्ष्यों के साथ याचिका दाखिल करेंगे और प्रमाणित करेंगे कि साईबाबा का जन्म पाथरी में ही हुआ था। पाथरी निवासी कुछ लोगों का कहना है कि शिरडी मंदिर ट्रस्ट के दबाव में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने बयान से पीछे हटे हैं।

सीएम ठाकरे बोले, इस मुद्दे पर न हो विवाद

विधानपरिषद सदस्य और कार्यसमिति के अध्यक्ष बाबाजानी दुर्रानी ने भी कहा कि पाथरी के लोग जन्मस्थान के मुद्दे पर कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा, 'शिवसेना सासंद संजय जाधव ने एक मुलाकात के दौरान सीएम ठाकरे से कहा था कि पाथरीवासी उनसे मिलना चाहते हैं, लेकिन ठाकरे ने मुलाकात से इन्कार करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर विवाद न पैदा किया जाए।'

दुर्रानी ने कहा, 'ठाकरे ने जब मुलाकात से मना कर दिया तो हमने इस मुद्दे का कानूनी तौर पर समाधान निकालने का फैसला किया। उन्होंने कहा, 'अगर सरकार धन जारी न भी करे तो हमें बुरा नहीं लगेगा, लेकिन हम यह दावा कभी नहीं छोड़ेंगे कि पाथरी ही साईबाबा का जन्मस्थान है।'

100 करोड़ रुपये दिए जाने का सीएम ने किया था ऐलान

उल्लेखनीय है कि नौ जनवरी को हुई कैबिनेट की बैठक में सीएम ठाकरे ने कहा था कि पाथरी को साईबाबा का जन्मस्थान माना जाता है और उसके विकास के लिए 100 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इसके बाद विवाद शुरू हो गया। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा गया कि शिरडी साईबाबा संस्थान के पास 2,600 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है, जिससे सामाजिक कार्य भी किए जाते हैं। शिरडी साईबाबा के कारण धनी बनी और जिस जगह पर संत ने अंतिम सांस ली उससे संपन्नता कोई नहीं छीन सकता।


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