पंजाब में आतंक की फसल बोने की नई साजिश
पंजाब में आतंक के जरिए दहशत पैदा करने वाले कई आतंकी अभी भी पाकिस्तान में छिपे हुए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कश्मीर में आतंक की फसल को खाद पानी देन में कोई कसर नहीं छोड़ रहे पाकिस्तान की गंदी नजर फिर से खालिस्तान पर है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ की तरफ से पंजाब में आतंक की फसल फिर से बोने की साजिश की जा रही है।
हाल के महीनों में पाकिस्तान में खालिस्तान समर्थक आतंकियों की कुछ गतिविधियों के बारे में भारतीय खुफिया एजेंसियों को जानकारी मिली है। इनकी बैठक जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयब्बा के शीर्ष नेताओं के साथ कराई जा रही है ताकि भारत में कश्मीर के साथ पंजाब में भी हिंसा की आग को भड़काया जा सके। बहरहाल, इस बारे में सूचना मिलते ही भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने अपनी सतर्कता और बढ़ा दी है।
भारतीय एजेंसियों को अप्रैल, 2017 से ही इस बात की सूचना मिल रही है कि पाकिस्तान में खालिस्तान आतंक से जुड़े कुछ लोगों को कई शहरों में देखे गए हैं। हाल ही में इन्हें क्वेटा में देखा गया है जो भारत विरोधी आतंकियों का एक बड़ा गढ़ बन चुका है। नजरबंद होने के बावजूद अंतरराष्ट्रीय आतंकी हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया मसूद अजहर के प्रतिनिधियों को क्वेटा में खालिस्तान समर्थक लोगों के साथ बैठक करते देखा गया है।
हाफिज सईद का नया आतंकी संगठन तहरीक-ए-आजादी की तरफ से खालिस्तानी व कश्मीरी जिहादियों को एक होने का खुलेआम ऐलान किया जा रहा है। पिछले दिनों कश्मीर में खालिस्तान समर्थक कुछ नेताओं की कश्मीरी पृथकतावादी नेताओं के साथ मुलाकात को खूब बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया है। इससे एजेंसियों की चिंता बढ़ी है। भारतीय एजेंसियां इसलिए भी ज्यादा सतर्क हैं कि वहां की खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने 'भारत को हजारों जख्म' देने को नए तरीके से आजमाने में जुटी है। पाकिस्तान में सीमा पार से एक के बाद एक आतंकियों के समूह को भेजना इस नीति का हिस्सा है।
ऐसे में खालिस्तानी आतंकियों के पाकिस्तान में देखे जाने को हल्के से नहीं लिया जा सकता। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान ने अस्सी के दशक में पंजाब में खालिस्तानी आतंकियों को जिस तरह से बढ़ावा दिया था, उसे दोहराने का ख्बाव वह लगातार देखता रहता है। पंजाब में आतंक के जरिए दहशत पैदा करने वाले कई आतंकी अभी भी पाकिस्तान में छिपे हुए हैं।
वैसे पाकिस्तान के हुक्मरान जिस तरह से कश्मीर पर मुखर होते हैं वैसा वह खालिस्तानी के मुद्दे पर नहीं होते। लेकिन कनाडा, अमेरिका, यूरोपीय संघ में खालिस्तान के समर्थन में रैली निकालने या किसी अन्य तरह से लाबिंग करने वालों को पाकिस्तान की मदद मिलते रहती है।
यह भी पढ़ें:एनएचएआइ अधिकारियों को घूस देने के मामले में जांच की प्रक्रिया शुरू