सुषमा के हस्तक्षेप से जगी ममता की आस
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक बार फिर दिखाया है कि सोशल मीडिया का उपयोग सरकार को लोगों से जोडऩे में किस तरह किया जा सकता है। उन्होंने दैनिक जागरण के एक ट्वीट पर तुरंत सक्रियता दिखाते हुए कुवैत में फंसे ममता के
नई दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक बार फिर दिखाया है कि सोशल मीडिया का उपयोग सरकार को लोगों से जोडऩे में किस तरह किया जा सकता है। उन्होंने दैनिक जागरण के एक ट्वीट पर तुरंत सक्रियता दिखाते हुए कुवैत में फंसे ममता के पति पवन को बचाने में हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। विदेश मंत्रालय को दिए उनके निर्देश के बाद अब पवन के परिवार वालों की उम्मीद बढ़ गई है।
'दैनिक जागरण' ने अपने उन्नाव संस्करण में गुरुवार को एक पत्नी की दर्द भरी दास्तां छापी थी। इसमें बताया है कि एक पत्नी साल 2013 से कुवैत में फंसे अपने पति की वापसी के लिए दर-दर भटक रही है। खबर छपने के बाद जागरण ने शुक्रवार को ट्वीट कर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ यह जानकारी साझा की और पीडि़त महिला की मदद करने की अपील की।
इसके तुरंत बाद विदेश मंत्री ने पीडि़त महिला की हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया है। सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर कहा कि उनके राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह इस मामले में हर संभव मदद करेंगे।
बीघापुर का रहने वाला पवन अपनी पत्नी ममता और मासूम बच्ची आस्था को छोड़ कर 28 अप्रैल 2013 को वीजा लेकर कुवैत के जहरा शहर पहुंचा। विदेशी धरती पर वह कुछ ऐसा फंसा कि तीन साल बाद भी उसे वापस लाने में परिवार के लोगों को अब तक सफलता नहीं मिली है। पवन की ऐसी हालत कुवैत के शेख अब्दुल सेमरी की लांड्री में काम करके हुई।
लेकिन पवन ने दो माह बाद शेख से घर भेजने के लिए पैसे मांगे तो शेख ने साफ मना कर दिया। पत्नी ममता की माने तो शेख ने एकमुश्त चार पांच महीने का पैसा देने की बात कहते हुए उसे काम में लगा दिया। धीरे-धीरे छह माह का समय गुजरा लेकिन शेख ने उसे पैसे नहीं दिए। उलटे उसका वीजा और पासपोर्ट तक जमा कर लिए।
लगभग सात माह का समय बीता और पैसे फिर भी नहीं मिले तो पवन ने वहां काम छोड़ कर चुपचाप दूसरी लांड्री में काम करने लगा।
इसकी जानकारी होने के बाद उसके पहले मालिक शेख ने विरोध दर्ज नहीं किया उल्टे बकाया पैसे देने का आश्वासन दिया। कुछ काम आगे बढऩे लगा। इसी बीच अचानक जनवरी 2014 में शेख अब्दुल सेमरी ने 3 हजार दिनार चुरा ले जाने की शिकायत दर्ज कराने का दबाव बना उसे ब्लैकमेल करने लगा और फिर अपनी लांड्री में काम करने के लिए वापस ले आया।
काफी समय तक उसके यहां बंधुआ मजदूरों की तरह काम कर रहा पवन एक दिन वहां से किसी तरह भागा और भारतीय दूतावास पहुंचा। लेकिन पास में पासपोर्ट और वीजा कुछ भी न होने से दूतावास ने उसकी मदद करने से हाथ खड़े कर दिए। इस बीच उसने किसी तरह से अपने घर बीघापुर फोन करके पत्नी ममता को फोन कर अपनी आप बीती सुनाई।