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Assam Flood: जलमग्न सिलचर में चिता जलाने के लिए नहीं बची है जमीन, शवों को किया जा रहा प्रवाहित

हर तरफ पानी ही पानी... कहीं नहीं दिख रही सूखी जमीन। ऐसे में असम के लोगों के सामने आई नई समस्या- अंतिम संस्कार करें कैसे। कई एनजीओ सामने आए हैं जो शवों को सूखी जगह पर ले जाने में मदद कर रहे हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 04:58 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 04:58 PM (IST)
Assam Flood: जलमग्न सिलचर में चिता जलाने के लिए नहीं बची है जमीन, शवों को किया जा रहा प्रवाहित
बाढ़ में डूबा असम, सिल्चर में अंतिम संस्कार के लिए नहीं मिल रही जमीन

गुवाहाटी, प्रेट्र। असम में बाढ़ के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, यहां तक कि मरने के बाद भी अंतिम संस्कार के लिए जमीन नहीं बची है। राज्य का सिलचर शहर पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है। यहां लोग अपने मृतक परिजनों को प्रवाहित करने पर मजबूर हो चुके हैं। इस क्रम में एक शख्स ने अपनी मां का शव के साथ एक नोट लिखकर प्रवाहित किया। इसमें एक अपील की गई कि जिसे भी यह शव मिले उससे गुजारिश है कि वे इसका अंतिम संस्कार कर दें।

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चिता के लिए नहीं बची है जमीन

सिल्चर के करीब चुत्रासंगन (Chutrasangan) गांव के निवासी निरेन दास (Niren Das) की 24 जून को मौत हो गई थी लेकिन बाढ़ के कारण करीब दो दिनों तक उनकी अंत्येष्टी नहीं हो सकी। जैसे तैसे नौका का प्रबंध किया गया। इसके बाद मृतक को बाढ़ के पानी में 15 किमी दूर तक जाना पड़ा तब कहीं जाकर बाबर बाजार में उन्हें सूखी जगह मिली। हाल ही में वायरल हुई एक तस्वीर सिल्चर की ही है जिसमें बाढ़ के पानी में गर्दन तक डूबा एक शख्स दिख रहा था। एक महिला का मृत शरीर बाढ़ के पानी में देखा गया जिसे स्थानीय वालंटियरों ने निकाला। इस शव के साथ एक पत्र था जिसमें महिला के पुत्र ने अपील की थी कि जिसे भी यह शव मिले वह किसी तरह इनका अंतिम संस्कार कर दे।

नहीं कर सका मां का अंतिम संस्कार, प्रवाहित कर दिया शव

बाढ़ के कारण रंगीरखरी ( Rangirkhari) निवासी युवक अपनी मृत मां का अंतिम संस्कार नहीं कर सका और शव को प्रवाहित कर दिया। शहर के मुख्य शवदाह गृह के संचालक दिलीप चक्रवर्ती ने कहा कि पूरा इलाका बाढ़ के पानी में डूब गया है और उन्हें भी सुरक्षित इलाके में शरण लेनी पड़ी। उन्होंने कहा, 'बाढ़ का पानी इस कदर शहर में है कि चिता सजाने के लिए जगह नहीं बची है।

वन विभाग दे रहा मुफ्त लकड़ियां

वन विभाग की ओर से अंतयेष्टी के लिए मुफ्त ही लकड़ियां दी जा रहीं हैं और सिल्चर म्युनिसिपल बोर्ड के पूर्व वाइस चेयरमैन बिजेन्द्र प्रसाद सिंह ने मृत्यु प्रमाणपत्र का जिम्मा लिया है। कई NGOs हैं जो शवों का अंतिम संस्कार करने में लोगों की मदद की रहे हैं। लेकिन इसके लिए सूखी जगह पर पहुंचना महंगा पड़ रहा है क्योंकि नाविकों की ओर से करीब छह किमी की दूरी तय करने के लिए कम से कम 3000 रुपये की मांग की जा रही है।


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