भारत के शहरी इलाकों में भी बढ़ेगी पानी की किल्लत, जल संकट से जूझ रहे विश्व में 93 करोड़ लोग
संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन से पहले जारी ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2023 जल भागीदारी और सहयोग के अनुसार एशिया में लगभग 80 प्रतिशत लोग पानी की किल्लत झेल रहे हैं पूर्वोत्तर चीन भारत और पाकिस्तान में यह समस्या अधिक विकट है।
संयुक्त राष्ट्र, पीटीआइ। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को जल्द ही पानी की गंभीर किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में विश्व में 93.3 करोड़ लोग पानी की कमी का सामना कर रहे हैं और 2050 में यह संख्या 1.7-2.4 अरब तक पहुंच सकती है।
संयुक्त राष्ट्र 2023 जल सम्मेलन से पहले जारी ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2023: जल भागीदारी और सहयोग' के अनुसार एशिया में लगभग 80 प्रतिशत लोग पानी की किल्लत झेल रहे हैं; पूर्वोत्तर चीन, भारत और पाकिस्तान में यह समस्या अधिक विकट है।
जल प्रबंधन के लिए हर देशों को मिलकर काम करने की जरूरत
यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने इस अवसर पर कहा कि हम सब का भविष्य जल पर निर्भर है, ऐसे में सभी को मिलकर काम करना चाहिए ताकि इसे टिकाऊ रूप से प्रबंधित किया जा सके। रिपोर्ट के अनुसार, जल प्रबंधन के लिए देशों को अपनी सीमाओं से परे जाकर सोचना होगा।
इस बारे में भारत और नेपाल के बीच महाकाली संधि (पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना) का उदाहरण दिया गया है। दोनों देशों के लिए जल और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने में इस परियोजना के लाभकारी प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है।
रिपोर्ट में 2018 की गूगल की पहल का भी जिक्र है। गूगल ने भारतीय केंद्रीय जल आयोग और बांग्लादेश जल विकास बोर्ड के साथ साझेदारी में बाढ़ के बारे में सटीक और विस्तृत अलर्ट देने की व्यवस्था की है ताकि इससे प्रभावित होने की आशंका वाले लोगों को बचाया जा सके। इससे 22 करोड़ लोगों को बाढ़ से बचाया जा सकेगा।
कहीं पानी नहीं और कहीं पानी साफ करने के लिए पैसा नहीं
पानी की कमी के परिदृश्यों की व्याख्या करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि पानी की कमी की दो स्थितियां है। पहली स्थिति अफ्रीका जैसे देशों में है जहां पानी उपलब्ध है लेकिन आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण इसे साफ करके लोगों तक नहीं पहुंचाया जा सकता।
दूसरी तरफ कई ऐसे रेगिस्तानी और शहरी इलाके हैं जहां पानी उपलब्ध ही नहीं है। पानी के कारण युद्ध की आशंका पर कॉनर ने कहा कि इस संकट का समाधान संघर्ष के बजाय शांति और सहयोग से निकलेगा।