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आइपीएल में काले धन की होगी जांच

लगातार कोशिशो के बावजूद बीसीसीआइ और राज्य क्रिकेट संघो पर नकेल कसने मे नाकाम रहे केद्रीय खेल राज्य मंत्री अजय माकन को इंडियन प्रीमियर लीग [आइपीएल] के नए विवाद ने उत्साहित कर दिया है। लोकसभा मे सोमवार को सदस्यो ने आवाज उठाई तो माकन ने भी यह बताने मे कोई देर नही लगाई कि विदेशी मुद्रा के मामले मे अनियमितता के लिए क्रिकेट संगठनो को नोटिस जारी किए जा चुके है। खेल मे काले धन की जांच के लिए मंत्रालय ने राजस्व सचिव को पत्र लिखा है।

By Edited By: Published: Mon, 21 May 2012 02:18 PM (IST)Updated: Mon, 21 May 2012 02:18 PM (IST)
आइपीएल में काले धन की होगी जांच

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। लगातार कोशिशों के बावजूद बीसीसीआइ और राज्य क्रिकेट संघों पर नकेल कसने में नाकाम रहे केंद्रीय खेल राज्य मंत्री अजय माकन को इंडियन प्रीमियर लीग [आइपीएल] के नए विवाद ने उत्साहित कर दिया है। लोकसभा में सोमवार को सदस्यों ने आवाज उठाई तो माकन ने भी यह बताने में कोई देर नहीं लगाई कि विदेशी मुद्रा के मामले में अनियमितता के लिए क्रिकेट संगठनों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। खेल में काले धन की जांच के लिए मंत्रालय ने राजस्व सचिव को पत्र लिखा है। बीसीसीआइ को सूचना के अधिकार [आरटीआइ] के दायरे में लाने की कोशिशें भी चल रही हैं।

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आइपीएल पर रोजाना उठ रहे विवादों के बीच सांसदों ने अपनी चिंता जताते हुए सरकार से इन संगठनों के खाते की विशेष ऑडिटिंग की मांग की। रविवार को फिरोजशाह कोटला मैदान के बाहर धरना दे चुके भाजपा सदस्य कीर्ति आजाद ने सवाल खड़े किए तो जदयू के शरद यादव समेत कई अन्य सदस्यों ने भी पूछा कि सरकार किसके दबाव में लाचार है? आजाद ने क्रिकेट के राजनीतिकरण पर भी सवाल खड़ा किया। संसद में इस बाबत अब तक अपना विधेयक लाने में असमर्थ रहे माकन को मानो मौका मिल गया। उन्होंने सदस्यों की चिंताओं को वाजिब बताते हुए कहा, सरकार खुद इन संगठनों पर लगाम चाहती है। वर्ष 1996 से लेकर 2006 तक बीसीसीआइ ने 365 करोड़ रुपये से ज्यादा की कर छूट ली है। उसके बाद से आयकर विभाग ने उन पर 118 करोड़ और 257 करोड़ रुपये की देयता तय की है। बीसीसीआइ और आइपीएल पर 1077 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा का भी मामला चल रहा है। प्रवर्तन निदेशालय ने दोनों के खिलाफ 19 नोटिस जारी किए हैं। माकन ने कहा, क्रिकेट संगठनों को लगभग मुफ्त में जमीनें दी गई थीं और वे भारत के बैनर तले मैच का आयोजन करते हैं। ऐसे में वे आरटीआइ के तहत आने से बच नहीं सकते। सरकार इसे सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत से जुटी है।

गौरतलब है कि माकन पिछले लगभग एक वर्ष से राष्ट्रीय खेल अधिनियम लाने की कवायद में जुटे हैं। लेकिन सरकार के अंदर ही भारी विरोध के कारण वह अब तक इसे कैबिनेट से मंजूर करवाने में असफल रहे हैं।

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