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हड़प्पाकालीन स्थल के रुप में सामने आया खीरसरा

पश्चिमी कच्छ में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण [एएसआई] द्वारा तीन साल तक खुदाई के बाद खीरसरा हड़प्पा कालीन के प्रमुख स्थल के तौर पर सामने आया है। एएसआई के सर्वेक्षण के दौरान पता लगाएगा कि 4600 साल पहले भी गुजरात का यह हिस्सा कितना आधुनिक हुआ करता था।

By Edited By: Published: Mon, 16 Apr 2012 11:23 AM (IST)Updated: Mon, 16 Apr 2012 11:57 AM (IST)
हड़प्पाकालीन स्थल के रुप में सामने आया खीरसरा

अहमदाबाद। पश्चिमी कच्छ में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण [एएसआई] द्वारा तीन साल तक खुदाई के बाद खीरसरा हड़प्पा कालीन के प्रमुख स्थल के तौर पर सामने आया है। एएसआई के सर्वेक्षण के दौरान पता लगाएगा कि 4600 साल पहले भी गुजरात का यह हिस्सा कितना आधुनिक हुआ करता था।

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वड़ोदरा में एएसआई के पुरातत्वविद डॉ जितेंद्र नाथ ने कहा कि खीरसरा पश्चिमी कच्छ में हड़प्पा काल के लोगों का सबसे प्रमुख स्थल बनकर उभरा है। इससे पहले धोलाविरा और जूनीकुरन के तौर पर कच्छ में दो प्रमुख स्थल हड़प्पा कालीन स्थल के रुप में सामने आए थे।

उन्होंने कहा कि वहा पिछले तीन साल में हुई खुदाई से पता चलता है कि करीब 4600 साल पहले गुजरात के इस हिस्से से कितना आधुनिक कामकाज हुआ करता था।

खीरसरा भुज नारायण सरोवर मार्ग भुज से करीब 85 किलोमीटर दूर है। स्थानीय तौर पर इसे गढ़वाली वाड़ी के नाम से जाना जाता है।

नाथ ने कहा कि इन लोगों के खीरसरा में बसने का प्रमुख कारण संभवत आसपास के क्षेत्र में कच्चे माल और खनिजों की उपलब्धता और उन तक आसानी से पहुंचने को बताया जाता है। उन्होंने कहा कि खुदाई के दौरान खीरसरा में एक अनोखा भडारण गृह, एक कारखाना, किला, मुहरें और सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी अनेक प्राचीन कालीन वस्तुएं मिलीं। यह जगह करीब 310 मीटर लंबी और 230 मीटर चौड़े आकार में किले की तरह है।

नाथ ने कहा कि भडारगृह का ढांचा देखकर लगता है कि इसे लकड़ी आदि से बनाया गया होगा। समातर दीवारों के बीच जगह देखने से लगता है कि यहा रखे जाने वाले सामान की सुरक्षा के लिहाज से खुली हवा के लिए जगह छोड़ी गई होगी। उन्होंने कहा कि खारी नदी से खीरसरा की नजदीकी से निश्चित रूप से समुद्री व्यापार में मदद मिली होगी। नाथ के मुताबिक इस जगह पर बड़ी भट्टियों, तंदूर, बर्तनों, पानी के छोटे टैंकों और अन्य धातुओं की चीजें मिलने से संकेत मिलता है कि यहा कभी निर्माण कार्य होता होगा।

गुजरात सरकार के पुरातत्व विभाग को सबसे पहले 1969-70 में खीरसरा के बारे में जानकारी मिली थी। एएसआई वड़ोदरा की उत्खनन शाखा के एक दल ने जुलाई, 2009 में इस जगह का मुआयना किया।

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