विश्व बैंक ने उजागर किया हाईवे परियोजनाओं में भ्रष्टाचार
कोयला खदानों के आवंटन में हजारों करोड़ के घोटाले पर भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक [कैग] की रिपोर्ट के बाद अब राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में भ्रष्टाचार पर विश्व बैंक की रिपोर्ट ने सरकार के सामने नया संकट खड़ा कर दिया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]।
कोयला खदानों के आवंटन में हजारों करोड़ के घोटाले पर भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक [कैग] की रिपोर्ट के बाद अब राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में भ्रष्टाचार पर विश्व बैंक की रिपोर्ट ने सरकार के सामने नया संकट खड़ा कर दिया है। इस रिपोर्ट पर वित्त मंत्रालय ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से मामले की जांच कराने के बाद कार्रवाई करने को कहा है।
दिलचस्प यह है कि रिपोर्ट में जिस सड़क निर्माण कंपनी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं वह हैदराबाद के एक कांग्रेस सांसद की है। इस कंपनी को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण [एनएचएआइ] ने पहले ब्लैकलिस्ट कर दिया था, लेकिन बाद में उसे काली सूची से बाहर कर दिया गया। रिपोर्ट में विश्व बैंक की सहायता से बन रही तीन सड़क परियोजनाओं में भ्रष्टाचार की बात कही गई है। ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर के तहत लखनऊ से मुजफ्फरपुर के बीच बन रही सड़क के अतिरिक्त, ग्रैंड ट्रंक रोड इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट और नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट फेज-3 में भ्रष्टाचार पर विश्व बैंक ने सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है। लखनऊ-मुजफ्फरपुर हाईवे प्रोजेक्ट के लिए विश्व बैंक ने 62 करोड़ डालर [करीब 3000 करोड़ रुपये] की सहायता दी है। इस सड़क को जून, 2012 तक बनकर तैयार होना है।
विश्व बैंक ने इन सड़क परियोजनाओं पर अपनी एक एजेंसी 'इंस्टीट्यूशनल इंटीग्रिटी यूनिट' से जांच कराई थी। एक मार्च को रिपोर्ट सरकार को सौंप दी गई। वित्त मंत्रालय ने 14 मार्च को इसे सड़क मंत्रालय के सचिव एके उपाध्याय को कार्रवाई के लिए भेज दिया। रिपोर्ट में प्रोग्रेसिव कंस्ट्रक्शन लिमिटेड और पीसीएल-एमवीआर ज्वांइट वेंचर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इन कंपनियों पर फर्जी वाउचर देकर 14.71 करोड़ रुपये अग्रिम भुगतान लेने और दूसरे चरण में भी फर्जी वाउचर देकर 14.64 करोड़ व 26.44 करोड़ अग्रिम लेकर अन्य प्रोजेक्ट पर खर्च करने के आरोप हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कंपनी ने विश्व बैंक के दस और बारह नंबर पैकेज को हासिल करने के लिए एनएचएआइ अधिकारियों पर करीब दो करोड़ रुपये खर्च किए। अफसरों की होटल बुकिंग और उपहार में सोने के सिक्के देने पर 9.88 लाख रुपये खर्च किए गए। जीटी रोड इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट का ठेका हासिल करने के लिए एनएचएआइ के अफसरों को 30.82 लाख रुपये नकद भी दिए गए। चार करोड़ के टिपर, ग्रेडर और क्रेन खरीदे गए, लेकिन इनका उपयोग अन्य प्रोजेक्ट में किया गया।
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