उड़नसिख पर लगा दिया डोपिंग का 'दाग'
'विश्व एथलेटिक्स के क्षितिज पर भारत के सशक्त हस्ताक्षर मिल्खा सिंह को नैंड्रोलोन का दोषी पाया गया था।' भारतीय एथलेटिक्स के सबसे बड़े ध्वजवाहक पर इस टिप्पणी से खेल विशेषज्ञों के पैरों तले जमीन खिसक गई।
मेरठ [संतोष शुक्ल]। 'विश्व एथलेटिक्स के क्षितिज पर भारत के सशक्त हस्ताक्षर मिल्खा सिंह को नैंड्रोलोन का दोषी पाया गया था।' भारतीय एथलेटिक्स के सबसे बड़े ध्वजवाहक पर इस टिप्पणी से खेल विशेषज्ञों के पैरों तले जमीन खिसक गई। वहीं इस संबंध में स्वयं मिल्खा सिंह भी हैरान हैं।
लंबे करियर के दौरान बेदाग जीवन के कारण उड़नसिख मिल्खा सिंह को देश में एथलेटिक्स के प्रतीक पुरुष का दर्जा प्राप्त है। वहीं, उप्र एथलेटिक्स संघ के एक पदाधिकारी के नाम से तैयार एक पत्र में मिल्खा सिंह को नैड्रोलोन सेवन का दोषी बताते हुए उन्हें राष्ट्रीय शर्म के लम्हों में शामिल कर लिया। स्तब्ध करने वाली इस भूल के बाद एसोसिएशन की आवाज बैठ गई है। सूत्र बताते हैं कि लखनऊ में कापी बंटने के बाद फिर वापस मांग ली गई थी।
कद पर दाग लगाने की भूल
-प्रदेश एथलेटिक्स संघ की ओर से फरवरी के दूसरे सप्ताह में लखनऊ में एंटी डोपिंग सेमिनार आयोजित किया गया। उप्र एथलेटिक्स एसोसिएशन [यूपीएए] के उपाध्यक्ष डा. एसपी देशवाल के नाम से डोपिंग पर जानकारी देने के लिहाज से एक डाक्यूमेंट तैयार किया गया। नए एथलीटों को जागरूक करने के मकसद से बनाई इस फाइल में कई भयंकर गलतियां हैं। इसमें लंबे समय तक रिकार्डधारी रहे मिल्खा सिंह पर नैंड्रोलोन सेवन का दोषी होने का जिक्र किया गया है। भारत की ओर से कामनवेल्थ खेलों में पदक जीतने वाले वे पहले एथलीट थे।
ओलंपिक पदक के सबसे करीब पहुंचे भारतीय
-1960 के रोम ओलंपिक में 400 मीटर दौड़ में मिल्खा सिंह ने नया विश्वरिकार्ड बनाया था। आश्चर्यजनक रूप से वह कांस्य पदक जीतने से सेकंड के दसवें हिस्से से चूक गए थे। बाद में 1988 में सिओल ओलंपिक में यह क्षण ट्रैक क्वीन पीटी ऊषा ने दोहराया। दोनों का पदक चेस्ट फिनिश में हाथ से फिसला था।
कार्ल लुइस को भी नहीं बख्शा
-एथलीट ऑफ द मिलेनियम कहे जाने वाले हैरतअंगेज धावक एवं जंपर कार्ल लुइस को रिपोर्ट में एंफेटेमाइन लेने का दोषी बताया गया है, जबकि 9 ओलंपिक पदक जीतने वाले एथलीट कार्ल लुइस को आदर्श एथलीट बताया जाता है। सिओल ओलंपिक में कनाडा के बेन जानसन को ड्रग का दोषी पाए जाने पर लुइस को 100 मीटर दौड़ का स्वर्ण पदक दिया गया था।
ये कहती है यूपीएए..
-उप्र एथलेटिक्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डा. एसपी देशवाल ने कहा कि यह इंटरनेट पर डाली भ्रामक जानकारी के कारण हुआ। नेट पर आज भी तथ्य उपलब्ध है।
मिल्खा सिंह ने कहा..
-उड़नसिख मिल्खा सिंह का कहना है कि यह जानबूझकर की गई बदमाशी है। मेरे समय में मादक द्रव्यों का प्रचलन ही नहीं था।
यह कहते हैं अर्जुन एवार्डी
-डेकाथलान के पूर्व चैंपियन विजय चौहान कहते हैं कि मिल्खा 1960 के आसपास शीर्ष पर थे, जबकि डोपिंग विश्व बाजार में 1972 में ईस्ट जर्मनी व रूस से उपजी। नैंड्रोलोन का आरोप निंदनीय है।
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