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पीएचडी की परीक्षा देने पहुंचे 89 साल के स्‍वतंत्रता सेनानी, जानिए- क्या है ख्‍वाहिश

बिसराहली एक स्वतंत्रता सेनानी हैं, उन्‍होंने अपनी जिंदगी में हार मानना नहीं सीखा है। इसलिए अब वह उम्र के इस पड़ाव पर भी अपनी पीएचडी करने के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 09:25 AM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 11:29 AM (IST)
पीएचडी की परीक्षा देने पहुंचे 89 साल के स्‍वतंत्रता सेनानी, जानिए- क्या है ख्‍वाहिश
पीएचडी की परीक्षा देने पहुंचे 89 साल के स्‍वतंत्रता सेनानी, जानिए- क्या है ख्‍वाहिश

कौप्‍पाल, एएनआइ। कहते हैं कि पढ़ाई करने की कोई उम्र नहीं होती, आप किसी भी उम्र में शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। यह बात कर्नाटक के कौप्‍पाल 89 साल के शरणबसवराज बिसराहली पर सटीक बैठती है, इस उम्र में अपनी डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (पीएचडी) पूरी करने की ख्‍वाहिश रखते हैं।

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बिसराहली एक स्वतंत्रता सेनानी हैं, उन्‍होंने अपनी जिंदगी में हार मानना नहीं सीखा है। इसलिए अब वह उम्र के इस पड़ाव पर भी अपनी पीएचडी करने के लिए पूरी मेहनत कर रहे हैं। बिसराहली ने पीएचडी के लिए प्रवेश परीक्षा दी है। खबरों के मुताबिक, वह कर्नाटक यूनिवर्सिटी से मास्टर की डिग्री हासिल कर चुके हैं। अब उनकी ख्‍वाहिश पीएचडी करने की है। उन्‍होंने कर्नाटक की हैंपी यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए प्रवेश परीक्षा दी है।

इससे पहले बिसराहली ने लॉ की पढ़ाई भी की है। बता दें कि उन्होंने पिछले साल भी परीक्षा में हिस्सा लिया था, लेकिन वो फेल हो गए थे। बिसराहली का कहना है, 'मैंने पिछले साल भी परीक्षा दी थी, लेकिन फेल हो गया था। इस साल परीक्षा अच्छी गई और मुझे परीक्षा पास करने को लेकर विश्वास है। मैं साहित्य और कन्नड़ कविताओं पर एक किताब लिखना चाहता हूं।'

बिसराहली का कहना है कि अब उनकी ख्‍वाहिश किताबें लिखने की भी है। वह उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जो किसी कारणवश बीच में अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं।


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