नक्सलियों की दिल्ली में मौजूदगी से उड़ी सुरक्षा एजेंसियों की नींद
सुरक्षा एजेंसियां भले ही झारखंड व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के जंगलों में नक्सलियों को खत्म करने की कोशिश कर रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि देश की राजधानी दिल्ली में नक्सलियों की उपस्थिति बढ़ती जा रही है।
नई दिल्ली [नीलू रंजन]। सुरक्षा एजेंसियां भले ही झारखंड व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के जंगलों में नक्सलियों को खत्म करने की कोशिश कर रही हो, लेकिन हकीकत यह है कि देश की राजधानी दिल्ली में नक्सलियों की उपस्थिति बढ़ती जा रही है। ताजा खुफिया रिपोर्टो के अनुसार दिल्ली के विभिन्न इलाकों में कम से कम एक दर्जन कंट्टर नक्सली सक्रिय हैं। इनमें आठ तो सीधे सेंट्रल कमेटी को अपनी रिपोर्ट भेजते हैं। ध्यान देने की बात है कि सेंट्रल कमेटी नक्सलियों की सर्वोच्च संस्था है। जाहिर है दिल्ली में मौजूद नक्सली कभी भी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं।
बड़े नक्सल नेताओं की गिरफ्तारी और उनसे पूछताछ के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने दिल्ली में सक्रिय नक्सलियों के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। अति गोपनीय इस रिपोर्ट में राजधानी में सक्रिय सभी नक्सलियों के नाम और उनकी पहचान भी दी गई है। सीधे सेंट्रल कमेटी को रिपोर्ट करने वाला 30 वर्षीय सोलोनी शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कई एनजीओ में सक्रिय है। जबकि 32 साल का ललित स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कई फर्जी नामों से विभिन्न अखबारों में लेख लिखता है। वहीं बिहार का रहने वाला 35 वर्षीय सुधीर ओखला की एक फैक्ट्री में काम करता है। रिपोर्ट में सूरज, विलास और अरुणा का नाम भी शामिल है। रिपोर्ट में दो महिला नक्सलियों के नाम भी हैं जो सीधे सेंट्रल कमेटी को रिपोर्ट करती हैं। मूलत: झारखंड की रहने वाली मलाथी और हरियाणा की रहने वाली छाया दिल्ली में निजी कंपनी में नौकरी करती हैं।
इसके अलावा रिपोर्ट में दिल्ली में पकड़े गए नक्सलियों के पोलित ब्यूरो के सदस्य कोबद घंडी के कूरियर के रूप में काम करने वाले तीन नक्सलियों के नाम भी दिए गए हैं। इनमें बदरपुर इलाके में सक्रिय सुधीर, उत्तम नगर व वसंत विहार में सक्रिय अरविंद जोशी और अजय के नाम शामिल हैं। हैरानी की बात यह है कि पूरी जानकारी मिलने के बाद भी सुरक्षा एजेंसियां इन नक्सलियों को पकड़ने में सफल नहीं हो पा रही हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये नक्सली कई फर्जी नामों से सक्रिय हैं और लगातार अपना ठिकाना बदलते रहते हैं। इस कारण इनकी सही पहचान मुश्किल हो रही है।
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