घाटी से एएफएसपीए हटाने पर निर्णय नहीं
सशस्त्र बल विशेषाधिकारअधिनियम [एएफएसपीए] को लेकर जहा अभी चर्चा जोरों पर हैं। वहीं, केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ मिलकर कुछ क्षेत्रों से अशांत क्षेत्र अधिनियम अधिसूचना की समीक्षा करने में जुटी है ताकि वहा से एएफएसपीए हटाया जा सके।
नई दिल्ली। सशस्त्र बल विशेषाधिकारअधिनियम [एएफएसपीए] को लेकर जहां अभी चर्चा जोरों पर हैं। वहीं, केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ मिलकर कुछ क्षेत्रों से अशांत क्षेत्र अधिनियम अधिसूचना की समीक्षा करने में जुटी है ताकि वहां से एएफएसपीए हटाया जा सके।
आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि मुख्यमंत्री की हाल की यह घोषणा कि जम्मू-कश्मीर के कुछ क्षेत्रों से एएफएसपीए और अशांत क्षेत्र अधिनियम शीघ्र ही हटाए जाएंगे, सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति के 25 सितंबर 2010 के फैसले के अनुरूप है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में पिछले साल इस समिति ने आठ निर्णय लिए थे जिसमें जम्मू- कश्मीर के सभी वर्गो के साथ सतत वार्ता प्रक्रिया शुरू करने के लिए वार्ताकारों का एक दल नियुक्त करना था।
समिति ने राज्य सरकार से एकीकृत कमान की तत्काल बैठक बुलाने और कश्मीर घाटी खासकर श्रीनगर में सुरक्षा बलों की तैनाती की समीक्षा करने के अनुरोध का निर्णय लिया था। इस समीक्षा श्रीनगर एवं अन्य शहरों में बंकरों, चेक प्वाइंट आदि की संख्या कम करने, अशांत क्षेत्र अधिूसूचित क्षेत्रों की अधिसूचना पर पुनर्विचार शामिल है।
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री की घोषणा इसी मंत्रिमंडलीय समूह के निर्णय का हिस्सा है। अब राजनीतिक नेतृत्व को अंतिम फैसला करना है। वार्ताकारों ने साल भर तक विचार विमर्श करने के बाद पिछले ही महीने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
मंत्रिमंडलीय समूह के अन्य फैसलों में राज्य सरकार को उन सभी छात्रों और युवकों को तत्काल रिहा करने के लिए सलाह देना था जिन्हें पथराव या कानून व्यवस्था के ऐसे ही अन्य उल्लंघनों के चलते हिरासत में लिया गया था या गिरफ्तार किया गया। इन लोगों के लिए आरोप भी हटाने की बात थी।
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