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कामदगिरि के संकरे परिक्रमा मार्ग से हटेंगे 69 निर्माण, योगी आदित्यनाथ ने देखी थी स्थिति

खोही में जलेबी वाली गली समेत अन्य 69 निर्माण चिह्नित किए। तहसीलदार कर्वी दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि नापजोख कर ली गई है। कुछ लोग आवास विहीन हैं उन्हें खोही बाजार से 150 मीटर दूर लक्ष्मण पहाड़ी के पास जगह दी जाएगी।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 09:35 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 09:35 PM (IST)
कामदगिरि के संकरे परिक्रमा मार्ग से हटेंगे 69 निर्माण, योगी आदित्यनाथ ने देखी थी स्थिति
कामदगिरि के संकरे परिक्रमा मार्ग, खोही में जलेबी वाली गली समेत अन्य 69 निर्माण चिह्नित किए

चित्रकूट, जागरण संवाददाता। कामदगिरि के संकरे परिक्रमा पथ को चौड़ा करने के लिए खोही गांव के 69 निर्माण हटाए जाएंगे। पिछले वर्ष मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिक्रमा के दौरान यह आदेश दिए थे। अधिकारियों ने माग की नापजोख कर निशान भी लगा दिए हैं। यहां से विस्थापित लोगों को 150 मीटर दूर लक्ष्मण पहाड़ी के पास बसाया जाएगा। बीते साल सितंबर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चित्रकूट का दो दिवसीय दौरा किया था। कामदगिरि की पांच किमी परिक्रमा के दौरान तीन किमी दूरी पर खोही बाजार में परिक्रमा पथ काफी संकरा मिला, तो उन्होंने डीएम शेषमणि पांडेय को निर्देश दिए थे कि मठ, मंदिर छोड़कर अन्य निर्माण हटवाएं।

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अधिकारियों ने खोही में जलेबी वाली गली समेत अन्य 69 निर्माण चिह्नित किए। तहसीलदार कर्वी दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि नापजोख कर ली गई है। कुछ लोग आवास विहीन हैं, उन्हें खोही बाजार से 150 मीटर दूर लक्ष्मण पहाड़ी के पास जगह दी जाएगी। अपर जिलाधिकारी जीपी सिंह ने कहा कि सहमति से लोगों को हटाएंगे। छह वर्ष पूर्व 10 श्रद्धालुओं की हुई थी मौत मध्य प्रदेश परिक्षेत्र के कामदगिरि प्राचीन मुखारबिंद के पास 20 अगस्त 2014 को सोमवती अमावस्या के दिन भगदड़ से संकरे परिक्रमा मार्ग पर 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। तब एमपी के सतना जिला प्रशासन ने अपने क्षेत्र का अतिक्रमण हटाया था। यूपी के चित्रकूट प्रशासन ने भी चिह्नित किया, लेकिन हटाया नहीं था।

खोही के औषधीय खोआ और मिठाई के क्या कहने

तपोभूमि के खोही गांव का नाम आते ही रसगुल्ले की मिठास मुंह में घुलने लगती है। कामदगिरि की तलहटी में बसी यह ग्राम पंचायत खोआ की मिठाइयों के लिए मशहूर है। श्रद्धालु यहां रसगुल्ला और मिठाई खाकर थकान मिटाते हैं। दरअसल, यहां के दुधारू पशु पहाड़ों-जंगलों में औषधीय पौधे चरते हैं। इससे उनका दूध और खोआ औषधीय गुणों वाला होता है। पूर्व प्रधान अशोक त्रिपाठी बताते है कि खोही बाजार को लक्ष्मी नारायण मंदिर बड़े मठ के महंत ने सैकड़ों साल पहले बसाया था। सेवकों से खुश होकर नजराने के रूप में जमीनें दी थीं। उन्हीं पर दुकाने और मकान बने हैं। लक्ष्मीनारायण मंदिर खोही के पुजारी ब्रजेशदास महाराज और ग्राम प्रधान सुमन त्रिपाठी ने कहा कि ऐसे इंतजाम हों कि खोही की मिठाई और संस्कृति जीवंत बनी रहे।


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