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कालेधन के खिलाफ जंग, नोटबंदी में 10 लाख कैश जमा करने वालों से वसूला 6416 करोड़ टैक्स

कालेधन के खिलाफ जंग में मोदी सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 10:18 PM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 10:18 PM (IST)
कालेधन के खिलाफ जंग, नोटबंदी में 10 लाख कैश जमा करने वालों से वसूला 6416 करोड़ टैक्स
कालेधन के खिलाफ जंग, नोटबंदी में 10 लाख कैश जमा करने वालों से वसूला 6416 करोड़ टैक्स

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। कालेधन के खिलाफ जंग में मोदी सरकार को बड़ी कामयाबी मिली है। सरकार ने नोटबंदी के दौरान बैंक खाते में दस-दस लाख रुपये कैश जमा करने वाले दो लाख से अधिक लोगों से भारी 6416 करोड़ रुपए टैक्स वसूला है। नॉन-फाइलर्स की श्रेणी में आने वाले इन लोगों ने आयकर रिटर्न भी नहीं भरा था। हालांकि सरकार की सख्ती के बाद उन्हें रिटर्न भरना पड़ा।

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-'ऑपरेशन क्लीन मनी' के जरिए सरकार को मिली बड़ी कामयाबी

-आयकर रिटर्न दाखिल करने को मजबूर हुए 2.09 लाख नॉन-फाइलर

आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के दौरान 3.04 लाख व्यक्तियों ने अपने बैंक खातों में दस-दस लाख रुपये कैश जमा किया था लेकिन इन्होंने निर्धारित तिथि तक अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया। इसके बाद आयकर विभाग ने इन्हें नोटिस जारी किया। आयकर विभाग की इस कार्रवाई के चलते ऐसे 2.09 लाख नॉन-फाइलर्स रिटर्न दाखिल करने पर मजबूर हुए और उन्होंने सेल्फ असेसमेंट कर भारी भरकम 6416 करोड़ रुपये आयकर जमा किया है। नॉन-फाइलर्स से वसूली गई इस राशि में से 52.41 अरब रुपये असेसमेंट वर्ष 2017-18 में आए हैं।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने कालेधन पर वार करते हुए 8 नवंबर 2016 को पांच सौ रुपये और एक हजार रुपये के पुराने नोटों को बंद करने का ऐलान किया था। इसके बाद सरकार ने 'ऑपरेशन क्लीन मनी' लांच किया जिसके तहत कुल 18 लाख ऐसे खाताधारकों की पहचान की जिन्होंने अपने खाते में भारी भरकम कैश तो जमा किया था लेकिन उनके द्वारा अब तक जमा किये गये आयकर से वह मेल नहीं खाता था। यही वजह है कि आयकर विभाग ने ऐसे खाता-धारकों का ई-वैरीफिकेशन करने के बाद उन्हें नोटिस जारी किए। इनमें से ही तीन लाख से ज्यादा लोग ऐसे थे जिन्होंने अपने खाते में दस लाख रुपये से अधिक कैश जमा किया था।

सूत्रों ने कहा कि टैक्स आधार बढ़ाने और कभी रिटर्न दाखिल न करने वाले लोगों से टैक्स वसूलने में नोटबंदी का बड़ा योगदान रहा है। इसका सबूत यह है कि वित्त वर्ष 2017-18 में प्रत्यक्ष कर संग्रह में 18 प्रतिशत वृद्धि हुई है जो बीते सात वित्तीय वर्षो में सर्वाधिक है। वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार के खजाने में भारी भरकम 10.03 लाख करोड़ रुपये राशि प्रत्यक्ष करों के रूप में आई जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में यह आंकड़ा 8.49 लाख करोड़ रुपये था।

वित्त वर्ष 2017-18 में 1.07 करोड़ नए व्यक्तिगत करदाताओं ने आयकर रिटर्न दाखिल किए, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में नए व्यक्तिगत करदाताओं की संख्या 85.71 लाख थी। इस तरह नोटबंदी के बाद के वित्त वर्ष में 25 प्रतिशत अधिक नए व्यक्तिगत करदाताओं ने रिटर्न दाखिल किया।


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