देश के नौनिहालों को मिल रही शिक्षा का बुरा हाल, 56 फीसद नहीं जानते सामान्य गणित
राइट टू एजुकेशन के तहत तेजी से बच्चों को स्कूलों में दाखिला तो दिया जा रहा है लेकिन यह कितने शिक्षित हो रहे हैं इसका सच प्रथम की रिपोर्ट में सामने आया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। एक तरफ जहां देश के विकास के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ हमारे नौनिहाल देश कैसी शिक्षा पा रहे हैं इसकी चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है। एक गैर सरकारी संस्था प्रथम की एनवल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2018 में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि आठवीं में पढ़ने वाले करीब 56 फीसद बच्चे सामान्य गणित भी नहीं जानते हैं। वहीं करीब 27 फीसद बच्चे ऐसे भी हैं जो पढ़ना तक नहीं जानते हैं। यह रिपोर्ट चौंकाने वाली इस लिहाज से भी है, क्योंकि सरकार द्वारा चलाई जा रही मुहिम राइट टू एजुकेशन के तहत अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षित करने की बात की जा रही है। लेकिन ताजा रिपोर्ट इसका एक दूसरा ही रूप सामने रख रही है।
एनजीओ ने सभी आंकड़े देश के 28 राज्यों के 596 ग्रामीण जिलों से इकट्ठा किए हैं। इसमें 3 से 16 साल के आयु वर्ग में 3.5 लाख परिवार और 5.5 लाख बच्चे शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर में हर चार में से एक बच्चा आठवीं क्लास के बाद पढ़ाई छोड़ दे रहा है।
दरअसल, राइट टू एजुकेशन के तहत बच्चों की शिक्षा सिर्फ सरकारी कागजों को ही भरने या फिर आंकड़े जुटाने और बढ़ाने का काम कर रही है। प्रथम की रिपोर्ट में आठवीं क्लास के जिन 56 फीसद छात्रों का जिक्र किया गया है वह तीन अंकों के भाग का सवाल भी हल नहीं कर सके। वहीं 72 फीसद पांचवीं के छात्र भाग के प्रश्न को हल करने में असफल रहे। इसके अलावा तीसरी क्लास के बच्चे घटा के सवाल भी सही नहीं कर सके।
इस रिपोर्ट के मुताबिक 6-14 साल के 97.20 फीसद बच्चों ने स्कूल में एडमिशन लिया है। इसके अलावा 11-14 साल की 95.9 फीसद लड़कियों को स्कूल में एनरॉल कराया गया है। रिपोर्ट की मानें तो तीसरी कक्षा के 72.80 फीसद छात्र-छात्राएं दूसरी क्लास की किताबें नहीं पढ़ पाए। एनजीओ की रिपोर्ट के मुताबिक 27 फीसद 8वीं क्लास के बच्चे दूसरी क्लास की टेक्स्ट बुक को नहीं पढ़ सके।
पिछले आंकड़ों से यदि इस रिपोर्ट की तुलना करें तो 2008 में पांचवीं क्लास के करीब 37 फीसद बच्चे सामान्य गणित जानते थे, लेकिन अब इनका आंकड़ा महज 28 फीसद रह गया है। आंकड़े बता रहे हैं कि शिक्षा का स्तर किस तरह से गिरता जा रहा है। ताजा रिपोर्ट में लड़कियों की यदि बात की जाए तो वह लड़कों से पीछे हैं। इसमें केवल 44 फीसद लड़कियां भाग के सवाल कर सकीं। हालांकि कुछ राज्यों में लड़कियां लड़कों से आगे रही हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश, पंजाब, केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु है।
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