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पिछले वर्ष दूसरे देशों में जाकर बस गए 5000 भारतीय करोड़पति, जानें कुछ दूसरी रोचक जा‍नकारी

पिछले वर्ष भारत में रहने वाले करीब पांच हजार करोड़पतियों ने देश छोड़कर विदेश में अपना ठिकाना बना लिया।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 10 May 2019 03:21 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 03:21 PM (IST)
पिछले वर्ष दूसरे देशों में जाकर बस गए 5000 भारतीय करोड़पति, जानें कुछ दूसरी रोचक जा‍नकारी
पिछले वर्ष दूसरे देशों में जाकर बस गए 5000 भारतीय करोड़पति, जानें कुछ दूसरी रोचक जा‍नकारी

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पिछले वर्ष भारत में रहने वाले करीब पांच हजार करोड़पतियों ने देश छोड़कर विदेश में अपना ठिकाना बना लिया। आपको भले ही ये कोई बड़ी बात न लगे। लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि पिछले वर्ष दुनियाभर में जिन करोड़पतियों ने देश छोड़कर दूसरे देशों में अपना ठिकाना बनाया उसमें भारतीय दुनिया के दस देशों में आते हैं। इसके हर कोई अपने हिसाब से अलग-अलग मायने निकाल सकता है। लेकिन इससे पहले आपको ये भी बता दें कि किस देश से कितने करोड़पतियों ने स्‍वदेश छोड़ा।

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पिछले वर्ष करीब चीन से करीब 15 हजार करोड़पति, रूस से 7 हजार, ब्रिटेन से 3 हजार, फ्रांस से 3 हजार, ब्राजील से 2 हजार, सऊदी अरब से एक हजार, और इंडोनेशिया से 1 हजार करोड़पति अपना देश छोड़कर विदेश में बस गए। ऐसे करोड़पति आस्‍ट्रेलिया में 12 हजार, ग्रीस में एक हजार, स्‍पेन में एक हजार, यूएई में 2 हजार, सिंगापुर में एक हजार, अमेरिका में 10 हजार, कनाडा में चार हजार, केरेबियन में 2 हजार करोड़पति अलग-अलग देशों से आकर बस गए।

आपको बता दें कि ग्‍लोबल वेल्‍थ माइग्रेशन रिव्‍यू के आंकड़े बताते हैं कि अगले एक दशक में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वेल्‍थ मार्किट बन जाएगी। 2008 के बाद वेल्‍थ मार्किट में जिन देशों ने सबसे खराब प्रदर्शन किया है उसमें सबसे पहले नंबर पर वेनेजुएला आता है, जहां की आर्थिक हालत बेहद खराब हो चुकी है। इसके बाद ग्रीस, यूक्रेन, साइप्रस, इटली का नाम आता है। वहीं इस श्रेणी में सबसे उम्‍दा प्रदर्शन करने वालों में चीन, मॉरिशस, इथियोपिया, भारत और श्री लंका का नाम आता है।

आपको यहां पर बता दें कि 2018 में आई नाइट फ्रेंक एलएलपी एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया था कि 50 करोड़ डॉलर की संपत्ति वाले ज्‍यादातर लोग उत्तरी अमेरिका में रहते हैं। इसके बाद एशिया और फिर यूरोप का नंबर आता है। इसके बाद मध्य एशिया, ऑस्ट्रेलिया, रूस, राष्ट्रमंडल के स्वतंत्र देश (सीआईएस), अफ्रीका के देश आते हैं।

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