सेवा में देरी पर 50 हजार का जुर्माना जायज
नागरिक सेवाओं व सामान की समयबद्ध डिलीवरी [उपलब्ध] और उससे जुड़ी शिकायतों के निवारण के लिए संसदीय स्थायी समिति ने भी कड़े उपायों पर जोर दिया है। समिति ने तय समय सीमा के भीतर सेवा न देने के दोषी सरकारी सेवकों को अधिकतम 50 हजार रुपए के जुर्माने पर अपनी भी रजामंदी दे दी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नागरिक सेवाओं व सामान की समयबद्ध डिलीवरी [उपलब्ध] और उससे जुड़ी शिकायतों के निवारण के लिए संसदीय स्थायी समिति ने भी कड़े उपायों पर जोर दिया है। समिति ने तय समय सीमा के भीतर सेवा न देने के दोषी सरकारी सेवकों को अधिकतम 50 हजार रुपये के जुर्माने पर अपनी भी रजामंदी दे दी है। इस जुर्माने की भरपाई लोकसेवकों के वेतन से की जाएगी। समिति ने इसके साथ ही लोकायुक्त तथा लोकपाल [प्रस्तावित] से अपील के सुझाव को खारिज कर दिया है।
कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी संसदीय स्थायी समिति की ओर से मंगलवार को संसद में नागरिक सेवाओं व सामान की समयबद्ध डिलीवरी व शिकायत निवारण अधिकार विधेयक-2011 पर पेश रिपोर्ट में कई जरूरी सिफारिशें की गई हैं। समिति ने अपने कई सदस्यों के उन सुझावों से सहमति नहीं जताई है, जिन्होंने नागरिक सेवाओं व सामान की समयबद्ध डिलीवरी न करने के दोषी लोकसेवकों के खिलाफ 50 हजार रुपये से अधिक जुर्माने पर जोर दिया है। समिति के अध्यक्ष शांताराम नाइक की अगुवाई में तैयार रिपोर्ट में इन सेवाओं को सुनिश्चित कराने के लिए गठित राज्य व केंद्रीय आयोग के खिलाफ लोकायुक्त या लोकपाल के यहां अपील के तर्क को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया है कि दोनों अलग-अलग निकाय हैं।
विधेयक के मुताबिक, नागरिक सेवाओं व सामान की समयबद्ध डिलीवरी मामले में शिकायत निवारण अधिकारी व विहित प्राधिकारी को शिकायत मिलने के 30 दिन के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। हर नागरिक को समयबद्ध सेवा व डिलीवरी का अधिकार होगा। केंद्र व राज्य सरकारों के लिए सिटिजन चार्टर जारी करना अनिवार्य होगा। राज्य व केंद्र में शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त होंगे। उनके फैसलों के खिलाफ राज्य जन शिकायत निवारण आयोग व केंद्रीय जन शिकायत निवारण आयोग में अपील की जा सकेगी।
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