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5-जी सर्विस जल्द लॉन्च होने की उम्मीद बढ़ी, वर्तमान से 50 फीसद बढ़ जाएगा डेटा स्पीड

कमेटी के सदस्य आरोग्यस्वामी पॉलराज ने कहा कि शुरुआत में 5-जी सेवा के जरिये देश में मोबाइल डाटा की स्पीड वर्तमान स्तर से 50 फीसद तक बढ़ाई जा सकती है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Mon, 18 Jun 2018 08:33 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2018 11:59 AM (IST)
5-जी सर्विस जल्द लॉन्च होने की उम्मीद बढ़ी, वर्तमान से 50 फीसद बढ़ जाएगा डेटा स्पीड
5-जी सर्विस जल्द लॉन्च होने की उम्मीद बढ़ी, वर्तमान से 50 फीसद बढ़ जाएगा डेटा स्पीड

नई दिल्ली (प्रेट्र)। दूरसंचार मंत्रालय द्वारा गठित 5-जी कमेटी ने कहा है कि देश में अगली पीढ़ी की मोबाइल टेलीफोनी और अन्य व्यावसायिक सेवाओं के लिए करीब 6,000 मेगाह‌र्ट्ज (एमएचजेड) स्पेक्ट्रम फौरन उपलब्ध होने लायक है। कमेटी ने सरकार को अपनी अनुशंसा सौंप दी हैं। अगर अनुशंसा और सुझाव मान लिए जाते हैं, तो देश में बहुत जल्द 5-जी सेवा लांच हो सकती है। इतना ही नहीं, स्पेक्ट्रम की उपलब्ध मात्रा के हिसाब से टेलीकॉम सेक्टर के लिए यह स्पेक्ट्रम की सबसे बड़ी नीलामी भी साबित होगी।

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कमेटी के सदस्य आरोग्यस्वामी पॉलराज ने कहा कि शुरुआत में 5-जी सेवा के जरिये देश में मोबाइल डाटा की स्पीड वर्तमान स्तर से 50 फीसद तक बढ़ाई जा सकती है। मल्टीपल इनपुट एंड मल्टीपल आउटपुट (एमआइएमओ/मीमो) वायरलेस टेक्नोलॉजी के अग्रणी और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर पॉलराज ने कहा कि दूरसंचार विभाग (डीओटी) नई सेवा के लिए स्पेक्ट्रम की उपलब्धता के क्षेत्र में मजबूत कदम उठा रहा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को 5-जी स्पेक्ट्रम की दरें वाजिब रखनी होंगी, ताकि टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों के लिए उन्हें खरीद पाना और जल्द से जल्द सेवा शुरू कर पाना व्यवहार्य हो। गौरतलब है कि मीमो के जरिये वायरलेस सेवा की क्षमता में जबर्दस्त सुधार संभव हो पाया है। वर्तमान में सभी नए वायरलेस सिस्टम में मीमो का उपयोग हो रहा है।

दो साल पहले सरकार ने अब तक की सबसे बड़ी टेलीकॉम स्पेक्ट्रम नीलामी के तहत करीब 2,354.55 मेगाह‌र्ट्ज फ्रीक्वेंसी की बोली लगाई थी। इससे सरकार को साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि मिली थी। वर्तमान में मोबाइल फोन के सिग्नल 800 से 2,600 मेगाह‌र्ट्ज बैंड के जरिये भेजे जा रहे हैं। कमेटी ने 11 बैंड्स में 5-जी सेवा के लिए स्पेक्ट्रम की पहचान की है। इनमें से प्रीमियम 700 मेगाह‌र्ट्ज बैंड के अलावा 3.5, 24 और 28 गीगाह‌र्ट्ज बैंड्स को 5-जी सेवा के लिए तत्काल उपलब्ध कराया जा सकता है।

पॉलराज ने कहा, 'स्पेक्ट्रम की उपलब्धता से इन्फ्रास्ट्रक्चर पर लागत बेहद कम हो जाती है। इससे लोगों को फायदा होता है। हमारे पास मौजूद स्पेक्ट्रम की मात्रा दुनिया के कुछ देशों द्वारा लांच के लिए तैयार 5-जी स्पेक्ट्रम की कुल मात्रा से ज्यादा है।' उन्होंने यह भी कहा कि अब तक लांच 3-जी और 4-जी सेवा के मुकाबले 5-जी सेवा की उपयोगिता महज मोबाइल सर्विस ही नहीं, बल्कि पावर ग्रिड, स्मार्ट सिटी, कृषि, बैंकिंग, रेलवे, हेल्थकेयर और अन्य सेवाओं में के लिए भी होगी।

पॉलराज का कहना था भारत कई अन्य देशों के मुकाबले 5-जी सेवा पहले लांच करने की स्थिति में है। उन्होंने कहा, 'अमेरिका और यूरोप के एकाध देशों को छोड़कर अब तक किसी ने भी 5-जी सेवा लांच नहीं की है। टेलीकॉम कंपनियों को यह सेवा लांच करनी ही चाहिए। लेकिन इसके लिए सरकार को भी स्पेक्ट्रम की वाजिब कीमत रखनी चाहिए, ताकि कंपनियां बोली लगा सकें और जल्द सेवा शुरू कर सकें।' गौरतलब है कि दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने 5-जी सेवा के व्यावसायिक परिचालन के लिए वर्ष 2020 का लक्ष्य रखा है, जो ज्यादातर देशों के मुकाबले काफी पहले है।


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