अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में क्रांति ला सकता है 4डी सुपर माइक्रोस्कोप ‘एटोसेकंड स्ट्रीक कैमरा’
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनीष गर्ग का यह आविष्कार इलेक्ट्रॉनिक्स मेडिकल कंप्यूटिंग संचार और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में क्रांति ला सकता है।
भोपाल, सौरभ खंडेलवाल। एटोसेकंड स्ट्रीक कैमरा नामक अत्याधुनिक 4डी इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से इलेक्ट्रॉन की गति को लाइव देखा जा सकता है। एटोसेकंड यानी सेकंड के एक अरब वें हिस्से में आंकी जा सकने वाली इलेक्ट्रॉन की गतिशीलता का लाइव वीडियो कैप्चर किया जा सकता है। जर्मनी के मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर सॉलिड स्टेट रिसर्च में कार्यरत वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मनीष गर्ग का यह आविष्कार इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल, कंप्यूटिंग, संचार और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में क्रांति ला सकता है। इसे इस तरह समझें कि इस तकनीकी की मदद से 100 गीगा हर्ट्ज के कंप्यूटर को 100 पेटा हर्ट्ज का बनाया जा सकता है।
मप्र के शहडोल जिले के मूल निवासी डॉ. मनीष गर्ग कहते हैं, पदार्थ की संरचना में क्रमश: अणु, परमाणु, इलेक्ट्रॉन-प्रोटॉन- न्यूट्रॉन इत्यादि सूक्ष्म घटक समाहित होते हैं। पदार्थ की प्रकृति इन्हीं सूक्ष्म घटकों के संयोजन पर निर्भर करती है। इनका अपना द्रव्यमान, आकार, प्रकार, स्वरूप, ऊर्जा, गति इत्यादि होते हैं। इलेक्ट्रॉन सदैव गतिशील बने रहते हैं। अब इस गतिशीलता को लाइव देखा जा सकता है। मनीष ने नई दुनिया को बताया, पदार्थ की संरचना और क्रियाशीलता को समझना अब पहले से आसान हो जाएगा। ठोस पदार्थ हों या रसायन, इनके उपयोग को पहले से बेहतर बनाया जा सकेगा। दवाएं हों या तमाम विद्युत उपकरण, इलेक्ट्रॉन इनका मुख्य घटक है। कंप्यूटर हो या मोबाइल, ऐसे सभी उपकरण इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स पर आधारित होते हैं। अब इन प्रक्रियाओं को न सिर्फ देखा जा सकेगा, बल्कि हाई डेफिनेशन (एचडी) वीडियो भी बनाया जा सकता है।
प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल ‘साइंस’ ने इस शोध, इस उपकरण की तकनीक और इसके भावी इस्तेमाल पर विस्तृत लेख प्रकाशित किया है। डॉ. मनीष शहडोल जिले के बराछ गांव के रहने वाले हैं। इस शोध में जर्मन वैज्ञानिक प्रो. क्लॉस केर्न ने भी उनका साथ दिया। दोनों वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तकनीक से न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को 10 लाख गुना तक दक्ष बनाया जा सकता है, बल्कि जटिल रासायनिक प्रक्रियाओं को और बेहतर समझ कर असाध्य बीमारियों के मूलभूत कारण, निदान और उपचार की भी संभावनाएं इससे खुल गई हैं।
पढ़ने के लिए 16 किमी दूर जाना पड़ता था
मनीष गर्ग मप्र के शहडोल जिले के बराछ गांव के मूल निवासी हैं। उनके पिता एक कोल कंपनी में कार्य करते थे। मनीष को पढ़ने के लिए 16 किमी दूर स्थित स्कूल जाना पड़ता था। इस स्कूल से उन्होंने 10वीं पास की। इसके बाद 12वीं की पढ़ाई उन्होंने किसी स्कूल में जाने की बजाए घर बैठकर की। हां, उनके आग्रह पर इसके लिए पिता ने एक कंप्यूटर का इंतजाम अवश्य कर दिया था। प्राइवेट विद्यार्थी के रूप में परीक्षा फॉर्म भरकर उन्होंने जेईई परीक्षा पास की और कोलकाता के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने जर्मनी के म्यूनिख स्थित मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट ऑफ क्वांटम ऑप्टिक्स से पीएचडी भी की। कंप्यूटर से जुड़ी एक प्रतिष्ठितकंपनी इंटेल ने उन्हें अपना ब्रांड एंबेसेडर भी बनाया।
‘मल्टी पेटा हर्ट्ज इलेक्ट्रॉनिक मेट्रोलॉजी’
- इस 4डी माइक्रोस्कोप से एक परमाणु के एक इलेक्ट्रॉन की गति को न सिर्फ देखा जा सकता है, बल्कि उसका वीडियो भी बनाया जा सकता है।
- इससे इलेक्ट्रॉन को वर्तमान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मौजूदा कंपन क्षमता से सौ गुना अधिक कंपन क्षमता पर देखा जा सकेगा।
- कंप्यूटर में इलेक्ट्रॉन की कंपन की आवृत्ति अधिकतम एक अरब हटर्ज (पेटा हट्र्ज) होती है, अब इसे एक खरब हर्ट्ज तक बढ़ाया जा सकता है।
- इससे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण 10 लाख गुना तक तेज हो सकते हैं, यानी 100 गीगा हर्ट्ज के कंप्यूटर को 100 पेटा हर्ट्ज का बनाया जा सकता है।
परमाणु के अंदर इलेक्ट्रॉन कुछ सैकड़ा एटोसेकंड (सेकंड का एक अरब वां हिस्सा) पर सक्रिय होता है। अब तक अल्ट्रा फास्ट स्ट्रोबोस्कोप से इलेक्ट्रॉन की गति का तो पता लगाया जा सकता था, लेकिन गति की प्रत्यक्ष तस्वीर नहीं ली जा सकती थी। इसी तरह लाइट माइक्रोस्कोप से इमेज कैप्चर की जा सकती है, लेकिन गति का पता नहीं चल पाता था। अब एचडी वीडियो बना सकते हैं।
-डॉ. मनीष गर्ग, वरिष्ठ वैज्ञानिक