भारत में कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिए 49 दिनों का लॉकडाउन जरूरी, जानें क्यों कही गई यह बात
ब्रिटेन में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के भारतीय मूल के दो शोधकर्ताओं ने कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिए 49 दिनों का लॉकडाउन या टुकड़ों में दो महीने तक चलने वाले लॉकडाउन की वकालत की है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। ब्रिटेन में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के भारतीय मूल के दो शोधकर्ता एक गणितीय मॉडल के साथ आए हैं। इसमें कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिए 49 दिनों का लॉकडाउन या टुकड़ों में दो महीने तक चलने वाले लॉकडाउन की वकालत की गई है। विश्वविद्यालय में एप्लाइड मैथमेटिक्स और थ्योरिटिकल फिजिक्स के रोनोजॉय अधिकारी और राजेश सिंह द्वारा तैयार पेपर में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा लगाए गए 21 दिनों के लॉकडाउन के प्रभावी होने की संभावना नहीं है। 21 दिनों का यह लॉकडाउन खत्म होने के बाद कोरोना के फिर से उभर आने की आशंका है।
सामाजिक दूरी के जरिये किया जा सकता है इसे नियंत्रित
इस अध्ययन में सामाजिक दूरी के साथ कार्यस्थल पर लोगों की अनुपस्थिति, स्कूल बंद करने और लॉकडाउन के प्रभाव की जांच की गई है। लेखकों ने लिखा है कि सामाजिक संपर्क की संरचनाएं गंभीर रूप से संक्रमण के प्रसार को निर्धारित करती हैं। टीकों की अनुपस्थिति में बड़े पैमाने पर सामाजिक दूरी के जरिये इसका नियंत्रण किया जा सकता है।
पीएम मोदी ने बताया इसके पीछे का सच
21 दिन के लॉकडाउन वाले भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि अब कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए ये कदम जरूरी है। आने वाले 21 दिनों के अंदर हम नहीं संभल सके तो भारत 21 वर्ष पीछे चला जाएगा और इसमें कई परिवार इस वायरस की भेंट चढ़ जाएंगे। यदि लापरवाही जारी रही तो भारत को इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इस कीमत का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। इस लॉकडाउन की आर्थिक कीमत भी देश को उठानी होगी। लेकिन हर किसी के जीवन को बचाना सबसे पहली प्राथमिकता है।
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए उठाया गया यह कदम
अन्य देशों का उदाहरण समझाते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इस वैश्विक महामारी ने तेजी से दुनिया में अपने पांव पसारे हैं। आंकड़े बताते हैं कि इसके पहले एक लाख मरीजों तक पहुंचने में जहां 67 दिन लगे। वहीं अगले 11 दनों में इसी चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या दो लाख हो गई। इसके बाद महज चार दिनों में इसकी संख्या बढ़कर तीन लाख हो गई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये कितनी तेजी से फैलता है। ऐसे में इसको फैलने से रोकना काफी मुश्किल है। दुनिया के कई देशों में हालात बेकाबू हो गए। इटली से अमेरिका में हेल्थ सर्विस और तकनीक सबसे बेहतरीन हैं। इसके बाद भी ये आज बेबस हैं। ये भी कोरोना का प्रभाव कम नहीं कर पाए हैं।