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छत्तीसगढ़ में दो दिनों में बेंगलुरू से विशेष विमान से पहुंचे 359 श्रमिक और उनके परिवारीजन

लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया और कई दिन भूखे सोना पड़ा लेकिन मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि फ्लाइट में चढ़कर रायपुर पहुंचेंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 05 Jun 2020 09:01 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jun 2020 09:01 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में दो दिनों में बेंगलुरू से विशेष विमान से पहुंचे 359 श्रमिक और उनके परिवारीजन
छत्तीसगढ़ में दो दिनों में बेंगलुरू से विशेष विमान से पहुंचे 359 श्रमिक और उनके परिवारीजन

रायपुर, स्टेट ब्यूरो। बेंगलुरु से 180 श्रमिकों को लेकर विशेष विमान शुक्रवार की दोपहर को 12.50 बजे स्वामी विवेकानंद विमानतल रायपुर पहुंचा। जांच के बाद सभी श्रमिकों को उनके जिलों में स्थित क्वारंटाइन सेंटर भेज दिया गया। गुरुवार को भी 179 श्रमिक विशेष विमान से आए थे। नेशनल लॉ स्कूल बेंगलुर और हैदराबाद के पूर्व छात्रों के संगठन ने दो दिनों में छत्तीसगढ़ के 359 श्रमिकों और उनके परिवारीजनों की विशेष चार्टर फ्लेन से घर वापसी संभव हो सकी।

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विमान की सवारी ने श्रमिकों की तकलीफ को पल भर में भुला दिया

श्रमिकों में पहली बार विमान में चढ़ने की खुशी देखते बनती थी। घर पहुंचने और विमान की सवारी ने मानो उनकी दो महीने की तकलीफ को पल भर में भुला दिया हो। रायपुर विमानतल पर श्रमिकों के बच्चों को तोहफा बांटा गया, सभी श्रमिकों को खाना खिलाया गया। मजदूरों को लेने के लिए उनके क्षेत्र के अनुसार गाडि़यां आई थीं, जिनमें उन्हें रवाना कर दिया गया।

भूखे मरने की आ गई थी नौबत

बलौदाबाजार के महेंद्र ने बताया कि वह दो महीने से अपने भाई और साथी के साथ बेंगलुरू में फंसा हुआ था। तीनों फैक्ट्री में काम करने गए थे। लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया और भूखे मरने की नौबत आ गई थी। भगवान की कृपा से कुछ दिनों पहले ही उसका संपर्क इस संस्था वालों से हुआ और यहां तक पहुंच सका। जांजगीर के रहने वाले रमेश ने बताया कि बेंगलुर में काफी परेशानी में दिन बीत रहे थे। यहां तक कि भूखे मरने की नौबत आ गई थी। कई दिन भूखे सोना पड़ा, लेकिन यह सपने में भी नहीं सोचा था कि फ्लाइट में चढ़कर रायपुर पहुंचेंगे।

छत्तीसगढ़ में किसानों ने केंद्र के ठेका खेती के खिलाफ खोला मोर्चा, 10 जून को राज्यव्यापी प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ किसान सभा ने केंद्र सरकार के ठेका खेती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सभा ने इसे कोरोना संकट से अर्थव्यवस्था को उबारने के नाम पर कृषि क्षेत्र में मंडी कानून को खत्म करने की साजिश करार दिया है। किसान नेताओं के अनुसार यह देश की खेती-किसानी, खाद्यान्न सुरक्षा और आत्म निर्भरता के खिलाफ है। इसी वजह से किसान सभा ने केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ 10 जून को राज्यव्यापी प्रदर्शन का एलान किया है।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुाा ने कहा है कि ठेका खेती का एकमात्र मकसद किसानों की कीमत पर कारपोरेट पूंजी पूंजी की लूट और मुनाफे को सुनिश्चित करना है। ऐसे में लघु और सीमांत किसान, जो इस देश के किसान समुदाय का 75 फीसद हैं और जिनके पास औसतन एक एकड़ जमीन ही है, पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा।


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