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व्‍यापम घोटाला : सभी 31 आरोपियों को ठहराया दोषी, 25 को सुनाई जाएगी सजा

2013 पुलिस कांस्टेबल भर्ती घोटाले (व्‍यापाम) में सीबीआई कोर्ट द्वारा आरोपित 31 अभियुक्तों को अदालत ने दोषी ठहराया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 06:24 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 09:50 PM (IST)
व्‍यापम घोटाला : सभी 31 आरोपियों को ठहराया दोषी, 25 को सुनाई जाएगी सजा
व्‍यापम घोटाला : सभी 31 आरोपियों को ठहराया दोषी, 25 को सुनाई जाएगी सजा

भोपाल, राज्‍य ब्‍यूरो। मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 में 31 आरोपितों को भोपाल की विशेष सीबीआइ अदालत ने दोषी पाया है। सभी दोषियों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया है। अब इन्हें 25 नवंबर को सजा सुनाई जाएगी। मामले की सुनवाई सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसबी साहू की कोर्ट में हुई।

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व्यापम द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा की जांच एसटीएफ कर रही थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मामला दिसंबर 2015 में सीबीआइ को ट्रांसफर कर दिया गया था। सीबीआइ ने जांच के आधार पर भोपाल की विशेष अदालत में अप्रैल 2017 में चालान पेश किया था। जिनके खिलाफ चालान पेश किया गया था, उनमें 12 उम्मीदवारों व उनके स्थान पर शामिल होने वाले 12 फर्जी उम्मीदवारों सहित इनकी व्यवस्था करने वाले दलाल शामिल थे। सीबीआइ ने इनके खिलाफ फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया था।

ऐसे किया था फर्जीवाड़ा

व्यापम की पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में दलालों ने असली उम्मीदवारों से संपर्क किया था। दलालों ने कहा था कि उनके स्थान पर वे फर्जी उम्मीदवारों को शामिल कराएंगे, जिससे उनका चयन सुनिश्चित हो जाएगा। इसके एवज में असली उम्मीदवार से दो लाख रुपये तक की राशि ली गई। परीक्षा देने के एवज में फर्जी उम्मीदवारों को 50 हजार रुपये तक दिए गए। इसके बाद असली उम्मीदवारों के स्थान पर फर्जी उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी। इसके लिए फर्जी तरीके से प्रवेश पत्र तक तैयार किए गए थे। एसटीएफ को मुखबिर के जरिये इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिली थी। एसटीएफ की जांच में फर्जीवाड़ा सही पाया गया था।

 सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर, 2015 को सीबीआई से कहा था कि सभी व्यापम मामलों की जांच संभालें। इन मामलों में एसआईटी और एसटीएफ उसका सहयोग करेगी। 

इससे पहले सीबीआइ कोर्ट ने 4 अगस्‍त, 2018 को बहुचर्चित मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) फर्जीवाड़े में जबलपुर जोन में पहला फैसला सुनाया था। इसमें सभी दोषियों को चार साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। सजा पाने वालों में मुरैना निवासी दीपक जाटव, लक्ष्मीनारायण जाटव, दीवान जाटव और भागीरथ जाटव शामिल थे। इन सभी पर व्यापम द्वारा आयोजित वनरक्षक भर्ती परीक्षा-2013 में गड़बड़ी करने का आरोप था। ये चारों तहसील बामौर जिला मुरैना के अलग-अलग गांव के रहने वाले थे।


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