भारत में इन तीन कोरोना वैक्सीन पर हो रहा गंभीरता से विचार, जानें- किस चरण में हैं वैक्सीन
भारत की कई कंपनियां यूं तो विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर कारोना वैक्सीन को विकसित कर रही हैं लेकिन इनमें से तीन ऐसी हैं जिनको इमरजेंसी के तौर पर अपनी वैक्सीन के इस्तेमाल की इजाजत मिल सकती है।
नई दिल्ली (पीटीआई)। भारत में कोरोना की तीन वैक्सीन पर विचार किया जा रहा है। इन तीनों ने ही बीते चार दिनों में भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से अपनी-अपनी वैक्सीन के इमरजेंसी सेवा के तौर पर इस्तेमाल करने की इजाजत मांगी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, इन वैक्सीन को भारत बायोटेक, फाइजर और सीरम इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है।
सरकार ने दी जानकारी
सरकार की तरफ से केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने इस बारे में भी जानकारी दी गई है कि कोरोना की कौन-कौन से वैक्सीन फिलहाल किस चरण में हैं। सरकार के मुताबिक, आने वाले कुछ दिनों में कुछ और वैक्सीन लाइसेंस के लिए एप्लाई कर सकती हैं। इन वैक्सीन की दो से तीन खुराक को तीन से चार सप्ताह में दिया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव का ये भी कहना है कि वैक्सीन लेने के बाद भी कोविड-19 से बचाव के हर नियम को ऐसे ही मानना होगा जैसे वो पहले मान रहे थे। इसका सीधा-सा अर्थ है कि लोगों को मास्क पहनना और दो गज की दूरी अपनाने के साथ भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज करना होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के मुताबिक, भारत में प्रति दस लाख पर आने वाले कोरोना मामलों की संख्या दुनिया में सबसे कम है। वहीं, मौतों की संख्या में भी भारत सबसे नीचे है, जो काफी अच्छी बात रही है।
विकास के चरण में ये वैक्सीन
सरकार की तरफ से आई जानकारी के मुताबिक सीरम और एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की जा रही कोविडशील्ड ने इमरजेंसी सेवा में इस्तेमाल के लिए आवेदन किया है। ये फिलहाल ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण में है। वहीं हैदराबाद के भारत बायोटेक और आईसीएमआर की कोवैक्सीन ट्रायल के तीसरे चरण में है। कैडिला हेल्थकेयर और भारत के बायोटेक्नॉलॉजी विभाग द्वारा विकसित की जा रही ZyCov-D वैक्सीन अभी ट्रायल के दूसरे फेज में है। रूस की स्पूतनिक डॉक्टर रेड्डी के साथ मिलकर काम कर रही है और जल्द ही इसका तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो जाएगा। NVX CoV2373 वैक्सीन को सीरम और नोवावैक्स मिलकर विकसित कर रहे हैं। अभी भारत में इसके तीसरे चरण का ट्रायल विचाराधीन है। इसके अलावा कुछ दूसरी वैक्सीन फिलहाल इस दौड़ में काफी पीछे हैं और प्री क्लीनिकल ट्रायल की तरफ हैं। इनमें हैदराबाद के बायोलॉजिकल ई लिमिटेड और अमेरिका की एमआईटी यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन है। इसके बाद पुणे के जिनेवा और अमेरिका के एचडीटी द्वारा विकसित की जा रही HGCO19 वैक्सीन है। इसके बाद अंत में भारत बायोटेक और अमेरिका की थॉमस जैफरसन यूनिवर्सिटी की वैक्सीन शामिल है।
There are multiple vaccine candidates in different stages of development and some of them may get licensed in next few week. Vaccines require 2-3 doses, 3 to 4 weeks apart. Even after vaccination, #COVID precautions must be undertaken: Secretary, @MoHFW_INDIA pic.twitter.com/ICV8rzMjtM— PIB India (@PIB_India) December 8, 2020
भारत में घटे और दुनिया के कई देशों में बढ़े मामले
इसको लेकर की गई एक प्रेस ब्रीफिंग में नीति आयोग में स्वास्थ्य सेवा से जुड़े सदस्य वीके पॉल ने कहा है कि भारत में कोविड-19 के हर रोज आने वाले नए मामलों की संख्या लगातार घट रही है। ये इस बात को दर्शाता है कि भारत में इसकी गिरावट शुरू हो चुकी है, जबकि दुनिया के दूसरे देशों में अब भी इसके मामलों में तेजी आ रही है, जो बेहद गंभीर चिंता का विषय है। दिल्ली में भी नए मामलों में गिरावट लगातार दर्ज की जा रही है।
भारत में कोल्ड स्टोरेज चेन का निर्माण
कोविड-19 को लेकर भारत के लिए एक अच्छी खबर ये भी है कि लक्जमबर्ग की कंपनी भारत में इसकी वैक्सीन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए जरूरी कोल्ड स्टोरेज फैसिलिटी का निर्माण करेगी। बी मेडिकल सिस्टम कंपनी के CEO एल प्रोवोस्ट ने भारत दौरे पर ये बात कही है। उनके मुताबिक, मार्च 2021 तक ये चेन स्थापित कर लिए जाएंगे। इसका प्लांट गुजरात में लगाने की योजना है।