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असम में 2047 तक अल्पसंख्यक हो सकते हैं भारतीय

उपमन्यु हजारिका आयोग ने भारत-बांग्लादेश सीमा को लेकर सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में बांग्लादेश से हो रहे घुसपैठ की उच्च स्तरीय जांच का आदेश देने की अनुशंसा की है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2015 04:32 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2015 04:46 AM (IST)
असम में 2047 तक अल्पसंख्यक हो सकते हैं भारतीय

गुवाहाटी । उपमन्यु हजारिका आयोग ने भारत-बांग्लादेश सीमा को लेकर सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में बांग्लादेश से हो रहे घुसपैठ की उच्च स्तरीय जांच का आदेश देने की अनुशंसा की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश से अवैध रूप से आने वाले लोगों के कारण 2047 तक असम में भारतीयों पर अल्पसंख्यक हो जाने का खतरा मंडरा रहा है।

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सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित इस एक सदस्यीय आयोग ने पांच अक्टूबर को ही अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और असम सरकार को निर्देश दिया है कि वे आयोग की अुनशंसा को लेकर चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करें। इस मामले की अगली सुनवाई पांच नवंबर को होगी। आयोग ने नदी के तटीय इलाकों में सीमांकन कर 'स्टेराइल जोन' का विकास करने और वहां के ग्रामीणों को पहचान पत्र देने का भी सुझाव दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा की सुरक्षा में तैनात एजेंसी स्टेराइल जोन के पक्ष में है, लेकिन इस संबंध में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से नीतिगत निर्णय की अभी प्रतीक्षा की जा रही है।

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आयोग का मानना है कि अवैध रूप से बांग्लादेशियों के घुस आने का प्राथमिक कारण जमीन प्राप्त करने की होड़ है। अपनी अनुशंसा में आयोग ने कहा है कि भूमि के हस्तांतरण में एक सीमा होनी चाहिए, चाहे यह खरीद-बिक्री या उपहार के रूप में ही क्यों न हो। सरकार या किसी अन्य एजेंसी द्वारा भूमि आवंटित करने को लेकर भी इस सीमा का पालन किया जाना चाहिए। 1951 में भारत के नागरिक रहे लोगों और उनके वंशजों को ही भूमि हस्तांतरित की जानी चाहिए। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि असम में गैर जन जातीय लोगों के लिए जनजातीय क्षेत्रों में भूमि के हस्तांतरण पर जो रोक लगी हुई है, वैसी ही रोक गैर जनजातीय क्षेत्रों में भी लगाई जानी चाहिए, जिससे कि घुसपैठियों को जमीन प्राप्त करने से रोका जा सके।

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