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रैंकिंग की होड़ में दिखावटी स्वच्छता, अव्वल आए कई शहर एक ही साल में धड़ाम

पिछले स्वच्छता सर्वेक्षण की रिपोर्ट और जमीनी हकीकत में भारी अंतर की ढेर सारी शिकायतें मिली हैं। सरकार ने इस तरह की हरकत को रोकने के लिए कड़ा रुख अपनाया है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 01 Aug 2017 09:23 AM (IST)Updated: Tue, 01 Aug 2017 09:23 AM (IST)
रैंकिंग की होड़ में दिखावटी स्वच्छता, अव्वल आए कई शहर एक ही साल में धड़ाम
रैंकिंग की होड़ में दिखावटी स्वच्छता, अव्वल आए कई शहर एक ही साल में धड़ाम

नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। शहर को सीमित समय के लिए स्वच्छ बनाकर केवल उच्च रैंकिंग की वाहवाही लूटने वाले शहरी निकायों पर सरकार की नजरें टेढ़ी हो गई हैं। कई ऐसे शहरों के रिकार्ड ने सर्वेक्षण की धज्जियां उड़ा दी है जिन्होंने रैंकिंग की होड़ में सर्वेक्षण के वक्त तो साफ सफाई कर ली, लेकिन फिर हाथ झाड़ लिया। जब नागरिकों की ओर से शिकायतों का पुलिंदा आना शुरू हुआ तब कान खड़े हुए। अब सख्ती की तैयारी है। आगामी चार जनवरी से शुरू होने जा रहे स्वच्छता सर्वेक्षण में उनकी रैंकिंग खराब हो सकती है।

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शहरों में स्वच्छता को लेकर परस्पर प्रतिस्पर्धा के लिए सरकार ने तीसरे साल भी शहरी निकायों में स्वच्छता सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है। यह सर्वेक्षण चार जनवरी से मार्च 2018 तक किया जाएगा, जिसमें देश की सभी 4041 स्थानीय निकायों को शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही स्वच्छता सर्वेक्षण के मानकों को भी सख्त बनाया गया है।

दरअसल, पिछले स्वच्छता सर्वेक्षण की रिपोर्ट और जमीनी हकीकत में भारी अंतर की ढेर सारी शिकायतें मिली हैं। सरकार ने इस तरह की हरकत को रोकने के लिए कड़ा रुख अपनाया है। स्वच्छता सर्वेक्षण-2018 में दर्ज सूचनाओं की तस्दीक की जायेगी। इस दौरान सूचनाओं के गलत पाये जाने पर ऐसे शहरी निकायों के खिलाफ सख्त कदम उठाये जा सकते हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण के प्रावधानों में ऐसे शहरी निकायों के अंक में एक तिहाई अंक काटे जा सकते हैं, जिसका असर उसकी रैंकिंग पर पड़ सकता है।

स्वच्छता सर्वेक्षण में इस बार 4041 शहर निकायों को शामिल किया जाएगा, जबकि 2016 के सर्वेक्षण नें एक सौ शहरों को लिया गया था, जबकि दूसरे 2017 के सर्वेक्षण में 500 शहरों को शामिल किया गया था। सर्वेक्षण की लांचिंग करने के साथ ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि सफाई सरकार की विषय ही नहीं, बल्कि समाज और संस्कार का विषय भी है। पूर्ण स्वच्छता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति को इसके आंदोलन से जोड़ना पड़ेगा। स्वच्छता की प्रतिस्पर्धा से ही आंदोलन तेजी पकड़ेगा। स्वच्छता को बनाये रखने के लिए सतत निरंतरता का होना जरूरी है। देश के 1100 शहरों ने खुद को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया है।

लेकिन ठोस कचरा प्रबंधन एक बड़ी समस्या है, जिसके बगैर वास्तविक लक्ष्य को पाना संभव नहीं होगा। अब इसे राजस्व मॉडल से जोड़ दिया गया है। चार सौ से ज्यादा बिजली परियोजनाएं निर्माणाधीन है, जबकि 92 मेगावाट बिजली का उत्पादन होने भी लगा है।


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