छत्तीसगढ़ में रैबीज से हर साल 20000 लोगों की मौत, कुत्तों की आबादी से केंद्र सरकार चिंतित
केंद्र सरकार के पत्र के बाद राज्य के पशु चिकित्सा सेवा पशुधन विकास विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग हरकत में आ गए हैं।
रायपुर, राज्य ब्यूरो। सरकारी आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में रैबीज की वजह से प्रतिवर्ष करीब 20 हजार लोगों की मौत हो जाती है। इसमें 90 फीसद से अधिक मामले कुत्तों के काटने के होते हैं। स्ट्रीट डॉग अकेले छत्तीसगढ़ ही नहीं सभी राज्यों के लिए बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। यही वजह है इस मामले में सीधे केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा है।
केंद्र ने रैबीज की रोकथाम के लिए कार्रवाई करने के दिए निर्देश
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि केंद्र ने रैबीज की रोकथाम के लिए व्यापक स्तर पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसमें स्ट्रीट डॉग्स का बधियाकरण भी शामिल है। राज्यों को हर वर्ष कुत्तों की कुल आबादी के न्यूनतम 70 फीसद को एंटी रैबीज वैक्सीन देने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए सभी राज्यों से प्लान भी मांगा है।
रैबीज के हर केस की मांगी जानकारी
केंद्र सरकार ने राज्यों को भेजे गए पत्र में रैबीज के सभी प्रकरणों की नियमित जानकारी देने के लिए कहा है। इसमें रैबीज पीडि़त के साथ ही रैबीज के संदिग्ध मरीजों की भी रिपोर्ट अनिवार्य रूप से केंद्र को भेजने के लिए कहा गया है।
हर राज्य में न्यूनतम एक लैब बनाने के निर्देश
रैबीज की जांच के लिए हर राज्य में कम से कम एक डायग्नोसिस्ट लैब बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इस लैब में फ्लोरोसेंट एंटीबॉडी परीक्षण की सुविधा अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।
सर्विलांस के लिए संयुक्त टीम का गठन
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार ने राज्यों को कुत्तों के सर्विलांस के लिए स्वास्थ्य एवं पशुधन विकास विभाग की संयुक्त टीम बनाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही लोगों में रैबीज से बचाव व नियंत्रण के लिए जागरूकता के प्रयास करने को भी कहा है।
हरकत में आए तीन विभाग
केंद्र सरकार के इस पत्र के बाद राज्य के पशु चिकित्सा सेवा, पशुधन विकास विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग हरकत में आ गए हैं। तीनों विभाग मिलकर संयुक्त कार्य योजना तैयार कर रहे हैं।