एसडीएमए में छुपा है फेलिन और रतनगढ़ के अंतर का राज
फेलिन तूफान के कहर को बेअसर करने में मिली सफलता और रतनगढ़ के हादसे में सौ से अधिक मौतों ने राज्यों में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अहमियत साबित कर दी है।
नई दिल्ली [नीलू रंजन]। फेलिन तूफान के कहर को बेअसर करने में मिली सफलता और रतनगढ़ के हादसे में सौ से अधिक मौतों ने राज्यों में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अहमियत साबित कर दी है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण [एनडीएमए] के अधिकारी फेलिन से निपटने का बड़ा श्रेय ओडिशा और आंध्र प्रदेश के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण [एसडीएमए] को देते हैं। जबकि, मध्य प्रदेश सरकार ने एसडीएमए बनाने की जरूरत ही नहीं समझी।
राज्यों में एसडीएमए के महत्व को रेखांकित करते हुए एनडीएमए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ओडिशा और आंध्र प्रदेश में मौजूद एसडीएमए ने अपने राज्यों के अधिकारियों को मौसम विभाग की चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए आपदा से निपटने की तैयारी में जुटने के लिए तैयार किया। यही नहीं, एसडीएमए के मार्फत एनडीएमए और अन्य केंद्रीय एजेंसियों से बेहतर समन्वय हो सका। परिणाम साफ है कि 14 साल पहले जहां ओडिशा में तूफान से 10 हजार लोगों की मौत हुई थी, इस बार केवल दो दर्जन लोग ही इसके शिकार हुए।
बिना एसडीएमए वाले राज्यों की स्थिति इसके विपरीत है। इस साल मई में मौसम विभाग और एनडीएमए की पूर्व चेतावनी के बावजूद उत्तराखंड सरकार आने वाली आपदा को समझ नहीं पाई। वरिष्ठ अधिकारी ने इतना बड़ा हादसा झेलने के चार महीने बाद भी उत्तराखंड में एसडीएमए का गठन नहीं होने पर दुख जताया। वैसे बात सिर्फ उत्तराखंड और मध्य प्रदेश की नहीं है। हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, हरियाणा, केरल और तमिलनाडु जैसे एक दर्जन से ज्यादा राज्यों ने एसडीएमए का गठन नहीं किया है। दूसरी ओर, बिहार, ओडिशा, असम और गुजरात में न सिर्फ एसडीएमए बन चुका है, बल्कि बेहतर तरीके से काम भी कर रहा है।
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