नौसेना के अफसरों ने लीक किया था पनडुब्बी का डाटा, सीबीआइ ने 60 दिनों के भीतर दाखिल की चार्जशीट
दो सितंबर को मामला दर्ज करने के बाद अगले ही दिन सीबीआइ ने छापेमारी की थी और इस दौरान सेवानिवृत्त अधिकारियों कोमोडोर रनदीप सिंह और कमांडर एसजे सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। दोनों एक कोरियाई पनडुब्बी कंपनी के लिए काम करते हैं।
नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। रूसी किलो श्रेणी की पनडुब्बी से जुड़ी संवेदनशील जानकारी कथित रूप से लीक करने के मामले में सीबीआइ ने दो अलग अलग आरोप पत्र दाखिल किए हैं। जांच एजेंसी ने छह व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए हैं जिनमें नौसेना का एक सेवारत कमांडर और दो सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल हैं। आरोप है कि नौसेना में कमांडर रैंक के सेवारत अधिकारी आर्थिक लाभ के एवज में सेवानिवृत्त अधिकारियों को गोपनीय जानकारी लीक कर रहे थे।
रक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार की यह सबसे तेजी से की गई जांचों में से एक है और जांच एजेंसी ने तीन सितंबर को पहली गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल कर दिया है ताकि गिरफ्तार आरोपितों को आसानी से जमानत न मिल सके। एक आरोप पत्र में सीबीआइ ने सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारियों कोमोडोर रनदीप सिंह और कमांडर एसजे सिंह को नामित किया है। जबकि दूसरे मामले में इन दोनों सेवानिवृत्त अधिकारियों के अलावा सेवारत कमांडर अजीत कुमार पांडेय और हैदराबाद स्थित एलेन रिइंफोर्स्ड प्लास्टिक्स लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर टीपी शास्त्री व निदेशक एनबी राव एवं के. चंद्रशेखर को नामित किया गया है।
एक सेवारत अधिकारी का नाम अभी आरोप पत्र में शामिल नहीं
इस मामले में तीन सितंबर को शुरू हुई कार्रवाई के बाद से सीबीआइ ने छह लोगों को गिरफ्तार किया है इनमें आरोपित दो सेवानिवृत्त अधिकारी, अजीत कुमार पांडेय, एक और सेवारत अधिकारी और दो निजी व्यक्ति शामिल हैं। गिरफ्तार किए गए एक नौसेना अधिकारी को आरोप पत्र में नामित नहीं किया गया है, संभावना है कि जल्द ही दायर होने वाले पूरक आरोप पत्र में उसका नाम शामिल किया जा सकता है। मालूम हो कि भ्रष्टाचार के मामलों में सीबीआइ को गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल करना होता है, अन्यथा आरोपित जमानत का हकदार हो जाता है। राऊज एवेन्यू की विशेष सीबीआइ अदालत में दाखिल आरोप पत्र में सीबीआइ ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रविधानों के तहत आरोप लगाए हैं।
आधुनिकीकरण की जानकारी कर रहे थे लीक
अधिकारियों ने बताया कि यह मामला तब शुरू हुआ था जब एजेंसी को यह सूचना मिली थी कि रूसी किलो श्रेणी की पनडुब्बियों की रेट्रोफिटिंग (आधुनिकीकरण) पर काम कर रहे नौसेना की पश्चिमी कमान मुख्यालय में कार्यरत कुछ अधिकारी सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारियों से कथित रूप से प्रभावित हो रहे हैं और उनसे आर्थिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
छापे में 2.4 करोड़ की नकदी हुई थी बरामद
दो सितंबर को मामला दर्ज करने के बाद अगले ही दिन सीबीआइ ने छापेमारी की थी और इस दौरान सेवानिवृत्त अधिकारियों कोमोडोर रनदीप सिंह और कमांडर एसजे सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। दोनों एक कोरियाई पनडुब्बी कंपनी के लिए काम करते हैं। छापेमारी के दौरान 2.4 करोड़ रुपये की नकदी भी बरामद हुई थी। बाद में जांच के दौरान सीबीआइ ने दो नौसेना कमांडरों, एक हवाला कारोबारी और एक निजी कंपनी के निदेशक को भी गिरफ्तार किया था। सूत्रों ने बताया कि मामले में आगे की जांच जारी है और इसमें कुछ विदेशी नागरिकों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है।