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दो बेटियों की जिद के अागे तूफान भी कमजोर साबित हुअा, पेश की ये मिशाल

पुणे की सायली अौर पूजा की। इन दोनों युवतियों की जिद ही थी जिन्होंने जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक 3,868 किलोमीटर की दूरी साइकल से सिर्फ 35 दिनों में नाप डाली।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sun, 07 Jan 2018 09:46 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jan 2018 08:14 AM (IST)
दो बेटियों की जिद के अागे तूफान भी कमजोर साबित हुअा, पेश की ये मिशाल
दो बेटियों की जिद के अागे तूफान भी कमजोर साबित हुअा, पेश की ये मिशाल

पुणे (एएनअाई)।  महाराष्ट्र के पुणे की दो बेटियों ने लोगों को जागरुक करने के लिए एक एेसा मिसाल पेश किया, जो हर किसी के लिए अनुकरणीय है। पुणे की सायली अौर पूजा की जिद के अागे अोखी तूफान भी कमजोर साबित हुअा। दोनों बेटियों ने जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक 3,868 किलोमीटर की दूरी साइकल से सिर्फ 35 दिनों में नाप डाली।  

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सफर के दौरान दोनों युवतियों ने जम्मू-कश्मीर में कड़कड़ाती ठंड, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और यूपी में घने कोहरे, राजस्थान के उदयपुर में ओखी तूफान की वजह से हो रही बारिश, गुजरात और महाराष्ट्र में ठंड और गुनगुनी धूप और कर्नाटक और तमिलनाडु में त्वचा जलाने वाली धूप का सामना किया। यात्रा के दौरान वे दो बार बीमार भी हुईं।

धुन की पक्की, आत्मविश्वासी और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने का हौसला रखने वाली ठाणे की 19 वर्षीय सायली महाराव और पुणे की 23 वर्षीय पूजा बुधावले ने 9 राज्यों से होते हुए 3 जनवरी को कर्नाटक में अपनी साइकिल यात्रा समाप्त की।

दोनों युवतियां प्रतिदिन 100 से 120 किलोमीटर साइकिल चलाती थीं। इस दौरान वे 30 जगहों पर ठहरी थीं। 4 जनवरी को सुबह मुंबई पहुंचने पर दोनों युवतियों का लोगों ने ढोल-नगाड़े बजाकर स्वागत किया। पूजा टूर एंड ट्रैवल्स में डिप्लोमाधारक है जबकि सयाली पुणे के शाहू कॉलेज से बीए कर रही हैं। सफर में उन्होंने हर राज्य के मशहूर जायकों का भी आनंद लिया।

जानिए- क्या था इन दोनों का मकसद
सयाली ने बताया कि साइकल यात्रा करने का मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाअो, बेटी पढ़ाअों के तहत 'बेटियों को बचाने' और 'बेटियों को पढ़ाने' का संदेश देना है। उन्होंने बताया कि जम्मू से कन्याकुमारी तक की अधिकांश यात्रा नेशनल हाइवे पर साइकिल चलाकर तय की। सफर के दौरान दोनों अलग-अलग स्कूलों में जाती थीं और लड़कियों को संबोधित करती थीं। वे उन्हें मन लगाकर पढ़ाई करने को कहती थीं। इस काम में उन्हें लोगों से काफी हौसला मिला।

बाइकर पूजा तानाजी बधवले ने बताया कि हमारे पास एक अद्भुत अनुभव था। हमें मार्ग पर विभिन्न समूहों ने मदद की थी। हम 27 नवंबर को ट्रेन से जम्मू पहुंचे, 30 नवंबर को यात्रा शुरू की।

वहीं बाइकर सयाली मिलिंद महारोज ने बताया कि हमारा मकसद प्रदूषण के खतरों और 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाअो ' के संदेश को फैलाना था। हमने इस यात्रा को अजय पदवल को समर्पित किया है, जो ऑफ रोड साइकिल चालक थे और लेह में  उनका निधन हो गया ।

ऐसे की तैयारी 

पूजा बताती हैं कि यात्रा की तैयारी के लिए वह पुणे में सयाली के साथ रोजाना 60 से 70 किलोमीटर साइकिल चलाती थीं। साइकल से वे लोग पुणे से सातारा, पुणे से जेजुरी, पुणे से लोनावला और पुणे से कोल्हापुर तक जाया करती थीं। इस अभ्यास से उन्होंने साइकल यात्रा की तैयारी की।


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