1984 सिख दंगों की तुलना गुजरात से नहीं की जा सकती: अमर्त्य सेन
नई दिल्ली। प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि गुजरात में 2002 में हुए दंगों की तुलना सिख विरोधी दंगों से नहीं की जा सकती। उन्होंने इंफोसिस प्रमुख एनआर नारायणमूर्ति के उस बयान को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के मार्ग में गुजरात दंगे बाधा नहीं बनने चाहिए।
नई दिल्ली। प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि गुजरात में 2002 में हुए दंगों की तुलना सिख विरोधी दंगों से नहीं की जा सकती। उन्होंने इंफोसिस प्रमुख एनआर नारायणमूर्ति के उस बयान को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के मार्ग में गुजरात दंगे बाधा नहीं बनने चाहिए।
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नोबेल पुरस्कार विजेता सेन ने हालांकि 1984 दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कठघरे में न लाने को अत्यंत शर्मनाक बताया। सिख दंगों और गुजरात दंगों में अंतर बताते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने वाले कांग्रेसी नेता मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी सिख विरोधी दंगों के जिम्मेदार नहीं थे। किसी ने उन पर इसका आरोप नहीं लगाया मगर गुजरात में दंगों के समय मोदी मुख्यमंत्री थे। सेन पहले भी कह चुके हैं कि वह नहीं चाहते कि मोदी भारत के प्रधानमंत्री बनें, क्योंकि उनकी साख धर्मनिरपेक्ष नहीं है।
एक चैनल को दिए साक्षात्कार में सेन ने कहा कि सिख विरोधी दंगे कांग्रेस के सिद्धांत के अनुरूप नहीं हैं। वहीं गुजरात में मुसलमानों के साथ हुए व्यवहार से सवाल उठता है कि क्या उनके साथ दूसरे दर्जे के नागरिक का बर्ताव किया गया था। यह समस्या लगातार जारी है। साथ ही कहा कि नारायणमूर्ति उनके अच्छे दोस्त हैं, लेकिन इस मुद्दे पर वह उनसेसहमत नहीं हैं। जब उनसे पूछा गया कि हालिया पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणामों में मोदी लहर दिखती है या कांग्रेस विरोधी लहर जिस पर वह सवार हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि कांग्रेस चुक गई है शायद इसलिए वहां कांग्रेस विरोधी लहर है। जहां तक मोदी का सवाल है कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर ऊहापोह की स्थिति है ऐसे में कोई भी मजबूत नेता होगा तो उसे लाभ मिल जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या कांग्रेस को औपचारिक तौर पर राहुल गांधी को अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए? सेन ने कहा, वादा करके कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता। मुझे नहीं पता कि चुनाव जीतने के लिए इस समय कांग्रेस की क्या रणनीति है।
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