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1984 Anti Sikh Riots: मुख्य गवाह जगदीश कौर बोलीं- सज्जन को फांसी पर लटका देना चाहिए

1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले की 34 साल से पैरवी करने वाली 80 वर्षीय जगदीश कौर ने कहा है कि सज्जन कुमार को फांसी पर लटका देना चाहिए, उम्रकैद की सजा कम है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 02:10 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 02:14 PM (IST)
1984 Anti Sikh Riots: मुख्य गवाह जगदीश कौर बोलीं- सज्जन को फांसी पर लटका देना चाहिए
1984 Anti Sikh Riots: मुख्य गवाह जगदीश कौर बोलीं- सज्जन को फांसी पर लटका देना चाहिए

अमृतसर, जेएनएन। 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले की 34 साल से पैरवी करने वाली 80 वर्षीय जगदीश कौर ने कहा है कि सज्जन कुमार को फांसी पर लटका देना चाहिए, उम्रकैद की सजा कम है। 1985 में दिल्ली कैंट के राजनगर में रहने वाली जगदीश कौर के घर पर दंगाइयों ने हमला बोल दिया था। इसमें उनके पति केहर सिंह, 18 वर्षीय बेटे गुरप्रीत सिंह और उनके मामा के तीन लड़कों रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह को घर में ही जलाकर मार दिया गया था। बाकी के बच्चों को किसी और के घर में छुपा कर वह बच्चों समेत बच गई थीं।

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जगदीश कौर ने बताया कि उस समय पुलिस ने दंगाइयों को अज्ञात बताया लेकिन मैंने नानावती आयोग के समक्ष सज्जन कुमार का नाम लिया। 3 नवंबर 1984 के दिन उन्होंने स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत की थी। इसके बाद 1985 में भी शिकायत दी। लेकिन पुलिस ने दोषियों में भीड़ के साथ एक प्रमुख नेता लिख कर मामले को दबा दिया था। इसके बाद भी जगदीश कौर हिम्मत नहीं हारीं और फिर नानावती आयोग में शिकायत दी। वहां पूछताछ में उन्होंने स्थानीय सांसद सज्जन कुमार का नाम लिया और मामला चलता रहा।

सीबीआई ने 2005 में उनकी शिकायत और न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश पर दिल्ली कैंट मामले में सज्जन कुमार के अलावा उनके मामले के पांच अन्य कांग्रेसी नेताओं कैप्टन भागमल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, गिरधारी लाल, कृष्ण खोखर और पूर्व पार्षद बलवंत खोखर के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

घर की खिड़कियां, दरवाजे तोड़कर जलाई थीं पति और बेटे की चिता

जगदीश कौर ने बताया कि उस दिन दोपहर के एक बजे चुके थे। दिल्ली उपद्रव की आग में जल रही थी। मैं और मेरे पति व बेटा घर में छुपकर बैठे थे। अचानक दरवाजा खुला और उपद्रवी अंदर घुस आए। उन्होंने मेरे 18 वर्षीय बेटे गुरप्रीत सिंह, पति केहर सिंह और मामा के चार बेटों को जलाकर मार डाला। उन्होंने घर को भी आग लगा दी। पति और बेटे को अपनी आंखों के सामने मरते देखकर मैं कांप उठी। मेरे चार अन्य बच्चे पड़ोसी के घर थे। कहीं उनके साथ अनहोनी तो नहीं हुई, यह सोचकर सिहर उठी। बदहवास सी बाहर निकली। चारों तरफ हिंसा और आग थी।

जगदीश कौर बताती हैं कि पति-पुत्र के शव तीन दिन तक घर में ही पड़े रहे। बदहवास और बेबस जगदीश कौर अपने चार बच्चों को लेकर कभी इधर जातीं तो कभी उधर। 3 नवंबर को घर लौटीं। पति, पुत्र व मामा के बच्चों के अधजले शव यथावत पड़े हुए थे। वह कहती हैं- मैंने घर की खिड़कियां-दरवाजे, रजाई, चादर सब कुछ शवों पर रखा और उनका अंतिम संस्कार किया। एक औरत के लिए इससे बड़ा दर्द और क्या होगा कि वह अपने पति व बच्चों का संस्कार भी विधिवत रूप से नहीं कर पाई। कई वर्षों बाद सिख विरोधी दंगों से जुड़े दो दोषियों नरेश सहरावत और यशपाल सिंह को अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद बुजुर्ग जगदीश ने कहा कि बहुत देर हो गई, लेकिन संतुष्ट हूं कि दुष्टों को सजा मिली।

जगदीश कौर बताती हैं कि मैं दिल्ली के कैंट एरिया स्थित घर में थी। 1 नवंबर को जब हिंसा की आग भड़की तो सरकारी कार्यालयों में छुट्टी हो गई। मेरे पति दोपहर बारह बजे घर लौट आए। परिवार के साथ सभी मैं बैठी थी। इसी बीच पड़ोस के लोगों ने घर आकर बताया कि बाहर सिखों को मारा जा रहा है। आप अपने बच्चों को कहीं सुरक्षित पहुंचा दो। मैंने बच्चों को पड़ोस के हिंदू परिवार के यहां भेज दिया। इसके बाद एक बजे उपद्रवियों ने हमारे घर पर धावा बोल दिया। चंद मिनटों में ही सब कुछ खाक हो गया। जगदीश कौर ने कहा कि उपद्रवियों को सज्जन कुमार लीड कर रहा था। उसके साथ कांग्रेस के स्थानीय नेता भी थे।

दुष्टों से लडऩे की मैंने ठान ली थी

जगदीश कौर ने बताया कि मैंने ठान लिया कि जिन दुष्टों ने जुल्म ढाया है, उनसे लडऩा है। दिसंबर 1984 को मैं अमृतसर आ गई। तीन महीने तक श्री हरिमंदिर साहिब स्थित सराय में रुकी। बच्चों को गुरदासपुर स्थित मायके घर भेज दिया। बाद में मैं गुरुनानकवाड़ा में किराए के मकान में रहने लगी। दिल्ली से मुझे समन आते, पर मैं वहां नहीं गई। मुझे आशंका थी कि कहीं दिल्ली में मुझे मार न डालें। मैंने कहा कि मेरा केस अमृतसर ट्रांसफर किया जाए पर पुलिस ने इन्कार किया। वर्ष 2005 में मेरी फाइल सीबीआइ के पास गई। इसके बाद नानावती कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर सज्जन कुमार, कांग्रेस नेता कैप्टन भागमल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, गिरधारी लाल, कृष्ण खोखर और पूर्व पार्षद बलवंत खोखर के खिलाफ मामला दर्ज हुआ।

दुपट्टे बेचकर परवरिश की

जगदीश कौर बताती हैं कि बच्चों की परवरिश के लिए मैंने दुपट्टे बेचे। कर्ज लिया। जिंदगी वीरान हो चुकी थी पर बच्चों के लिए जीना चाहती थी और उन दुष्टों को फांसी पर चढ़ते देखना चाहती थी जिन्होंने मेरी दुनिया उजाड़ दी।

आरोपितों को मैंने नजदीक से देखा था

मैंने न्यायिक लड़ाई लड़ी। सभी आरोपितों को नजदीक से देखा था। अदालत में इन्हें पहचाना। बलवान खोखर स्थानीय पार्षद था। उसके पास तेल का डिपो था। हिंसा में उसने अपने डिपो से ही तेल सप्लाई किया था। अदालत ने कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और बलवंत खोखर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जबकि महेंद्र यादव और कृष्ण खोखर को तीन साल की सजा दी।  


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