1948 में चीन में थे नेताजी
बंगाल सरकार द्वारा सार्वजनिक किए गए नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों से नई-नई कहानी सामने आ रही है। इसके मुताबिक, नेताजी देश की आजादी के एक साल बाद 1948 में चीन के मनचूरिया शहर में किसी स्थान पर रहते थे।
जागरण ब्यरो, कोलकाता। बंगाल सरकार द्वारा सार्वजनिक किए गए नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों से नई-नई कहानी सामने आ रही है। इसके मुताबिक, नेताजी देश की आजादी के एक साल बाद 1948 में चीन के मनचूरिया शहर में किसी स्थान पर रहते थे। उनके विश्वस्त सहयोगियों में से एक रहे देवनाथ दास ने उस समय यह दावा किया था। फाइल नंबर 22 में देवनाथ दास समेत आजाद हिंद फौज (आइएनए) के नेताओं के बारे में बंगाल सरकार के (डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस के कार्यालय) की ओर से जुटाई गई खुफिया सूचनाओं में इस बात पर रोशनी डाली गई है।
इसमें से नौ अगस्त, 1948 के एक दस्तावेज में कहा गया है कि देवनाथ दास (एंटी कांग्रेस प्रचार में काफी सक्रियता से शामिल एक पूर्व आइएनए नेता) राजनीतिक और पार्टी के सर्किल में इस बात का प्रचार कर रहा है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस जीवित हैं और वे मनचूरिया में किसी जगह पर हैं, जो वर्तमान में चीन में है। इस जिज्ञासा को बढ़ाने और लोगों के भरोसे को पुख्ता करने के लिए दास ने कहा था कि नेताजी ने प्लेन क्रैश से पहले उनसे कहा था कि दूसरे विश्व युद्ध के परिपेक्ष्य में तीसरा विश्व युद्ध होने की संभावना बनी हुई है।
दरअसल, 22 अगस्त, 1945 को टोकियो रेडियो ने नेताजी के फोरमोसा (अभी ताइवान) में 18 अगस्त, 1945 को जापान जाते समय एक विमान दुर्घटना में मारे जाने की घोषणा की थी। लेकिन इस हादसे में नेताजी की मौत की खबर को उनके समर्थकों और प्रशंसकों ने खारिज कर दिया था। उसके बाद नेताजी के सामने आते रहने के कई बार दावे किए गए। इस विवाद को और आगे बढ़ाते हुए दास ने इन दस्तावेजों में इस बात पर जोर दिया है कि 1948 में नेताजी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर नजर बनाये हुए थे। इसके पीछे नेताजी का मकसद यह जानना था कि विदेशी शक्तियों में कौन उनका दोस्त और कौन उनका दुश्मन है।
हालांकि, फाइलों के अध्ययन से अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि क्या वाकई उनकी मौत 1945 में हुए एक विमान हादसे में हुई थी। वर्षों तक पुलिसिया और सरकारी लॉकरों में छिपाकर रखी गईं 12,744 पन्नों वाली 64 फाइलें राज्य सरकार ने बोस के परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में 18 सितंबर को सार्वजनिक की।
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