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भारत की 18 दवा कंपनियां अमेरिकी जांच के दायरे में

फर्गुसन ने कहा है कि उनके साथ 45 राज्यों के एजी ने संघीय अदालत का दरवाजा खटखटाया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 02 Nov 2017 10:06 PM (IST)Updated: Thu, 02 Nov 2017 10:06 PM (IST)
भारत की 18 दवा कंपनियां अमेरिकी जांच के दायरे में
भारत की 18 दवा कंपनियां अमेरिकी जांच के दायरे में

हैदराबाद, प्रेट्र। अमेरिका में डेढ़ दर्जन भारतीय कंपनियों पर सांठगांठ करके दवा कीमतें ऊंची रखने का आरोप लगाया गया है। इस संबंध में आई शिकायतों के बाद 12 और दवा फर्मों के खिलाफ अमेरिकी जांच का शिकंजा कस सकता है। इनमें सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज, ग्लेनमार्क और जाइडस जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं। इससे पहले अरबिंदो, टेवा व माइलान समेत छह जेनरिक दवा निर्माताओं को ही इसके दायरे में रखा गया था। भारतीय फार्मा कंपनियों का अमेरिका के जेनरिक दवा बाजार के एक बड़े हिस्से पर कब्जा है। किसी दवा पर उसके आविष्कारक का पेटेंट समाप्त होने के बाद वह जेनरिक बन जाती है। ऐसी दवा का निर्माण कोई भी कंपनी कर सकती है।

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वॉशिंगटन के अटॉर्नी जनरल (एजी) बॉब फर्गुसन ने इस संबंध में एक बयान जारी किया है। फर्गुसन ने कहा है कि उनके साथ 45 राज्यों के एजी ने संघीय अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इसमें कोर्ट से लंबित शिकायतों की जांच दायरा बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। इसके तहत दायरे में आने वाली कंपनियों को छह से बढ़ाकर 18 व प्रभावित दवाओं की संख्या को दो से बढ़ाकर 15 करने की मांग की है। इसमें एक्टाविस होल्डो, एक्टाविस फार्मा, एसेंड लेबोरेटरीज, एपोटेक्स कॉर्प, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, एमक्योर फार्मा, ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स, लैननेट कंपनी, पार फार्मा सैंडोज, सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज और जाइडस फार्मा (यूएसए) का नाम है।

अमेरिकी राज्यों का आरोप है कि इन कंपनियों ने प्रतिस्पर्धा संबंधी एंटी-ट्रस्ट कानूनों का उल्लंघन करके कृत्रिम रूप से दवाओं के दाम बढ़ाए हैं। प्रतिस्पर्धा कम रखने के लिए वे जेनरिक दवा बाजार को आपस में बांटने पर राजी हो गईं। इससे कुछ दवाओं के दामों में 1,000 फीसद तक का उछाल देखा गया। बयान में कहा गया है कि अगर कंपनियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होती तो जेनरिक दवाओं के दाम 80 फीसद तक नीचे आ सकते थे। कंपनी इस मामले में सभी अमेरिकी नियामकों और एजेंसियों को पूरा सहयोग करेगी। वर्ष 2015 में अमेरिका में 74.5 अरब डॉलर (करीब 4,76,800 करोड़ रुपये) की जेनरिक दवाएं बिकी थीं।

इस मामले में डॉ. रेड्डीज का कहना है कि उसे अमेरिकी न्याय विभाग की ओर से जारी जांच के बारे में जानकारी है। माइलान ने अपने बयान में कहा है कि उसे अपनी तरफ से जांच करने पर ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला। अन्य कंपनियों की ओर से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया उपलब्ध नहीं हो पाई है।

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