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'निर्भया केस' में आज बड़ा दिन, दोषियों की फांसी की सजा का रास्‍ता साफ

सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया मामले के सभी दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए उनकी पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 12:05 PM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 04:55 PM (IST)
'निर्भया केस' में आज बड़ा दिन, दोषियों की फांसी की सजा का रास्‍ता साफ
'निर्भया केस' में आज बड़ा दिन, दोषियों की फांसी की सजा का रास्‍ता साफ

नई दिल्‍ली, [जागरण स्‍पेशल]। निर्भया सामूहिक दुष्कर्म को याद कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। देश-विदेश में दिल्‍ली को शर्मसार करने वाली इस घटना की यादें आज इसलिए जेहन में ताजा हो गई हैं, क्‍योंकि आज तीन दोषियों की फांसी की सजा के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है।  कोर्ट ने मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका पर बहस सुनकर गत चार मई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

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16 दिसंबर की वो खौफनाक रात
निर्भया सामूहिक दुष्‍कर्म की घटना के बारे में जिसने भी सुना, वो दंग रह गया। 16 दिसंबर, 2012 और रविवार का दिन। निर्भया(बदला हुआ नाम) शाम को साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में ‘लाइफ ऑफ पाई’ मूवी देखने के बाद 23 वर्षीय फीजियोथेरेपिस्ट छात्र अपने दोस्त अवनिंद्र के साथ रात 9 बजे ऑटो से मुनिरका पहुंची थी। वहां स्टैंड के पास खड़े होकर दोनों बस का इंतजार कर रहे थे। 9 बजकर 15 बजे आइआइटी की तरफ से सफेद रंग की आई चार्टर्ड बस के परिचालक ने उन्हें बस में बैठने के लिए कहा था। उनके बस में सवार होते ही परिचालक ने दरवाजा बंद कर दिया था। बस में चालक समेत छह लोग सवार थे। कुछ दूर आगे जाने पर बस के परिचालक व उसके साथियों ने युवती से छेड़खानी शुरू कर दी थी। विरोध करने पर उन्होंने युवती के दोस्त की रॉड से बुरी तरह पिटाई की थी। इसके बाद उन्होंने युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था। इस दौरान बस ने करीब 20 किलोमीटर की दूरी तय कर ली थी। दोषियों ने महिपालपुर में होटल एरिया के सामने चलती बस से दोनों को निर्वस्त्र हालत में नीचे फेंक दिया था। उस दौरान वहां से गुजरने वाले एक कार सवार की नजर पड़ने पर उसने पुलिस को इसकी सूचना दी थी।

सड़क से संसद तक गूंजी निर्भया की 'चीख'
निर्भया दुष्‍कर्म की घटना जिसने भी सुनी, आक्रोश से भर गया। ऐसे में सोशल मीडिया पर निर्भया के दोषियों को फांसी देने की मांग उठने लगी। लोग सड़कों पर उतर आए। मंगलवार 18 दिसम्बर 2012 को ही इस मामले की गूंज संसद में सुनाई पड़ने लगी थी। वहां आक्रोशित सांसदों ने बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड की मांग की। तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने संसद को आश्वासन दिलाया था कि राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाए जाएंगे। लगभग सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर एक थे कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

निर्भया ने सिंगापुर में आखिरी सांस
निर्भया की हालत नाज़ुक थी, उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। सड़कों और सोशल मीडिया से उठी आवाज़ संसद के रास्ते सड़कों पर पहले से कहीं अधिक बुलंद होती नजर आ रही थी। दिल्ली के साथ-साथ देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे थे। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सफदरजंग अस्पताल जाकर पीड़ित लड़की का हालचाल जाना था। निर्भया की हालत संभल नहीं रही थी। लिहाजा उसे सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 29 दिसंबर को निर्भया ने रात के करीब सवा दो बजे वहां दम तोड़ दिया था। इसके बाद पूरे देश शोकाकुल हो गया।

फांसी की सजा को हाइकोर्ट में फांसी
16 दिसंबर को 10 बजकर 22 बजे दिल्ली कैंट थाने को सूचना मिली कि महिपालपुर से दिल्ली कैंट की तरफ आने पर जीएमआर कंपनी के गेट नंबर एक के सामने एक लड़का व लड़की बेहोशी की हालत में पड़े हुए हैं। मौके पर पहुंची पुलिस दोनों को सफदरजंग अस्पताल लेकर गई। घटना के कुछ दिन बाद युवती की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। पुलिस ने वारदात में शामिल बस चालक रामसिंह, परिचालक मुकेश कुमार व अक्षय कुमार उर्फ अक्षय ठाकुर, उनके साथियों पवन कुमार और विनय शर्मा को गिरफ्तार किया था। मामले में पुलिस ने एक नाबालिग को भी पकड़ा था। निचली अदालत ने नाबालिग को बाल सुधार गृह भेजने का आदेश दिया था, जबकि बाकी सभी दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। तिहाड़ जेल में 11 मार्च 2013 को राम सिंह ने खुदकशी कर ली थी। अन्य दोषियों ने फांसी की सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जहां कोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में सजा को चुनौती दी है। तीन साल बाल सुधार गृह में बिताकर नाबालिग रिहा हो चुका है।

गौरतलब है कि एक अभियुक्त ने ट्रायल के दौरान जेल मे खुदकशी कर ली थी जबकि एक अन्य नाबालिग था जो तीन साल की सजा पूरी होने के बाद छूट चुका है। चारों अभियुक्तों ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल पांच मई को चारों की फांसी पर अपनी मुहर लगा दी थी। इसके बाद तीन अभियुक्तों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी।


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