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स्मार्ट सिटी के तैयार होने से पहले ही विकसित हो गये 151 स्मार्ट गांव

पहले चरण में चयनित गांवों की सूची में उन गांवों को शामिल किया गया, जो सुदूर और कठिन जलवायु वाले क्षेत्रों में बसे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 07:09 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 07:47 AM (IST)
स्मार्ट सिटी के तैयार होने से पहले ही विकसित हो गये 151 स्मार्ट गांव
स्मार्ट सिटी के तैयार होने से पहले ही विकसित हो गये 151 स्मार्ट गांव

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। स्मार्ट सिटी के तैयार होने से पहले ही देश में 151 स्मार्ट गांव विकसित कर लिये गये हैं। इन स्मार्ट गांवों के किसान तकनीकी रूप से पूरी तरह सक्षम बना दिये गये हैं, जो मॉडल जलवायु स्मार्ट गांव हो गये हैं। पहले चरण में चयनित गांवों की सूची में उन गांवों को शामिल किया गया, जो सुदूर और कठिन जलवायु वाले क्षेत्रों में बसे हैं। इन्हें विकसित करने में कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका अहम है।

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मॉडल जलवायु स्मार्ट गांवों की लोकप्रियता को देखते हुए कई राज्यों ने इसकी तर्ज पर अपने यहां कारगर पहल की है। महाराष्ट्र की राज्य सरकार ने केंद्र की तकनीकी और विश्व बैंक की वित्तीय मदद से प्रदेश में पांच हजार गांवों को स्मार्ट जलवायु स्मार्ट गांव बनाने का निश्चय किया है। जबकि असम, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा ने भी अपने यहां गांवों को स्मार्ट बनाने की दिशा में पहल की है।

विकसित स्मार्ट जलवायु मॉडल गांव ऐसे क्षेत्रों से चुने गये जो बरसात के मौसम में बाढ़ ग्रस्त और सूखाग्रस्त क्षेत्रों के हैं। इसके अलावा पालागस्त रहने वाले गांवों के साथ उन गांवों को सूची में रखा गया है, जहां भूजल स्तर लगातार नीचे गिर रहा है। इन गांवों को विपरीत जलवायु वाली परिस्थितियों में गांवों के विकास करने की क्षमता को बढ़ाने की तकनीक प्रदान की गई है।

ऐसे अनूठे और चुनौतीपूर्ण कार्यो को पूरा करने का दायित्व कृषि विज्ञान केंद्रों को सौंपा गया गया है। पहले चरण के 151 गांवों को स्मार्ट बनाने में कुल 121 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की भूमिका अहम रही है। इन केंद्रों के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के खेतों पर उन्नत प्रजाति की फसलों का प्रदर्शन किया है। फिलहाल देश में केवीके की संख्या बढ़कर सात सौ हो चुकी है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के केवीके ने उम्दा प्रदर्शन किया है। किसानों तक सीधी पहुंच इन केवीके की होती है। उन्नत तकनीक और प्रजातियों को किसानों तक पहुंचाने के लिए इन केंद्रों को प्रवेश द्वार कहा जाता है।

राजग सरकार ने सत्ता संभालते ही केवीके को कारगर बनाने के लिए 3900 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद मुहैया कराई। चार सालों के दौरान कुल 70 केवीके और खोले गये। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए कृषि मंत्रालय ने मॉडल स्मार्ट जलवायु गांव विकसित करने का फैसला किया। स्मार्ट मॉडल गांव को अपनाने के लिए ज्यादातर राज्यों ने इसे अपनाने का फैसला किया है।


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