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अनुसूचित जाति के लोगों की शादियां करा आरएसएस मिटा रहा वैमनस्यता, अब तक 1500 विवाह

राजस्थान में आरक्षित वर्ग के दूल्हों के साथ अपमानजनक व्यवहार की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 16 May 2019 10:18 PM (IST)Updated: Thu, 16 May 2019 10:27 PM (IST)
अनुसूचित जाति के लोगों की शादियां करा आरएसएस मिटा रहा वैमनस्यता, अब तक 1500 विवाह
अनुसूचित जाति के लोगों की शादियां करा आरएसएस मिटा रहा वैमनस्यता, अब तक 1500 विवाह

आरक्षित वर्ग के दूल्हों के व्यवहार से इतर संघ ने 10 साल में करा दी 1500 शादियां

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जयपुर (मनीष गोधा)। राजस्थान में अनुसूचित जाति-जनजाति के दूल्हों की बारात रोकने, उनके दूल्हों को घोड़ी से उतारने की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं, लेकिन पिछले दस साल में 1500 से ज्यादा शादियां ऐसी भी हुई हैं, जिनमें इसी वर्ग के एक नहीं बल्कि कई दूल्हों की एक साथ शान से बारात निकली और ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई।

इसी सोमवार को जानकी नवमी के मौके पर जयपुर में 11 जातियों के 41 जोड़ों का ऐसा ही एक सामूहिक विवाह हुआ। 30 मई अब कोटा के रामगंज मंडी में एक सामूहिक विवाह होने जा रहा है। इन सामूहिक विवाहों का आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से किया जाता है और अब तक राजस्थान ही एकमात्र प्रदेश था, जहां संघ की यह गतिविधि चल रही थीं।

असम में भी शुरू हुआ संघ का कार्यक्रम
हालांकि संघ ने अब असम में भी इसे शुरू किया है। 2010 में राजस्थान के झालावाड़ जिले के भवानी मंडी में पहली बार सेवा भारती की ओर से 13 जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया गया और इसके बाद से लगातार हर वर्ष राजस्थान के कोटा, झालावाड़, बूंदी, दौसा, अलवर, भरतपुर, जयपुर, टोंक, बारां और जोधपुर जिलों में अलग-अलग स्थानों पर सामूहिक विवाहों का आयोजन किया जा रहा है।  इस वर्ष तक कुल 1797 जोड़ों का सामूहिक विवाह कराया जा चुका है।

कभी नहीं हुई दूल्हे को घोड़ी से उतारने की घटना
राजस्थान में आरक्षित वर्ग के दूल्हों के साथ अपमानजनक व्यवहार की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं। सेवा भारती के इस कार्यक्रम से जुड़े प्रचारक तुलसी नारायण बताते हैं कि जब पहली बार इस आयोजन के बारे में सोचा तो इस बारे में चिंता सामने आई थी, लेकिन आज तक हुए 50 से ज्यादा सामूहिक विवाहों के आयोजन में एक बार भी ऐसी घटना सामने नहीं आई, जबकि हम इन जोड़ों का विवाह कराते हैं, उनमें से 80 प्रतिशत अनुसूचित जाति-जनजाति के निर्धन परिवारों से ही होते हैं। विवाह समारोह में हम पूरे गाजे-बाजे के साथ दूल्हों की बरात निकालते हैं और वैदिक रीति से विवाह का आयोजन होता है।

आते हैं प्रेमी जोड़े
प्रेमी जोड़े भी आते हैं, लेकिन परिवार की सहमति जरूरी सेवा भारती का ज्यादातर काम इन्हीं समुदायों के बीच है। सेवा भारती के कार्यकर्ता ऐसे परिवारों से संपर्क करते हैं और उन्हें सामूहिक विवाह समारोह से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। तुलसी नारायण ने बताया कि रिश्त तय करने का काम परिवार अपने स्तर पर करते हैं। हम सिर्फ विवाह कराते हैं।

हमसे प्रेमी जोड़े भी संपर्क करते हैं, लेकिन हमारे सामूहिक विवाह में माता-पिता की सहमति और उपस्थिति जरूरी है। अब तक करीब 15 प्रेमी जोड़ों का अंतरजातीय विवाह भी हमने कराया है। लेकिन जन्म, आयु संबंधी प्रमाण-पत्र लेने के बाद ही विवाह कराया जाता है।

दिया जाता है सामान भी
विवाह करने वाले जोड़ों को गृहस्थी का जरूरी सामान भी दिया जाता है और एक जोड़े पर औसतन 45-50 हजार का खर्च आता है। जोड़ों के परिवार से न्यूनतम राशि ली जाती है और बाकी व्यवस्था सेवा भारती दानदाताओं के सहयोग से करती है। कोई कितना भी पैसा दे, उसे मंच पर स्थान नहीं दिया जाता और न ही किसी राजनेता को कार्यक्रम में बुलाया जाता। इसे पूरी तरह एक सामाजिक कार्यक्रम का रूप दिया गया है।

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