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15 साल बाद मिला कारगिल शहीद का दर्जा

कारगिल युद्ध के दौरान 15 साल पहले जान गंवाए एक सैनिक को पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने शहीद का दर्जा देने के आदेश दिए। साथ ही, शहीद की पत्नी को युद्ध पेंशन देने के भी रक्षा मंत्रालय को निर्देश दिए। हाई कोर्ट ने मंगलवार को सुमित्रा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। अपनी याचिका में

By Edited By: Published: Wed, 14 May 2014 01:17 AM (IST)Updated: Wed, 14 May 2014 01:20 AM (IST)
15 साल बाद मिला कारगिल शहीद का दर्जा

चंडीगढ़, [दयानंद शर्मा]। कारगिल युद्ध के दौरान 15 साल पहले जान गंवाए एक सैनिक को पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने शहीद का दर्जा देने के आदेश दिए। साथ ही, शहीद की पत्नी को युद्ध पेंशन देने के भी रक्षा मंत्रालय को निर्देश दिए। हाई कोर्ट ने मंगलवार को सुमित्रा देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया।

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अपनी याचिका में सुमित्रा देवी ने आ‌र्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि उनके पति की 1999 में कारगिल युद्ध के अभ्यास में सीने में दर्द के कारण मौत हो गई थी। इसे आ‌र्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल ने शहीदी मानने से इन्कार कर दिया था।

सुमित्रा के पति लांस नायक सतपाल कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन विजय के सदस्य थे। सतपाल की मौत के बाद सुमित्रा को सेना द्वारा संदेश भेजा गया कि उनके पति की मौत हो गई। सेना ने उसके पति को युद्ध सैनिक का दर्जा न देते हुए सामान्य पेंशन दी।

युद्ध पेंशन सामान्य पेंशन से लगभग दोगुना होती है और उसमें अन्य लाभ भी अन्य पेंशन से ज्यादा होते हैं। हाई कोर्ट ने माना कि सतपाल सिंह कारगिल युद्धाभ्यास में सीमा पर तैनात था। मेडिकली फिट था। कारगिल में तैनाती के कारण तनाव व काम के दबाव के कारण उसे अटैक आया, इसलिए उसे लाभ दिया जाए।

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